क्यों छुप के बैठते हो, परदे की क्या जरुरत (Kyu Chup Ke Baithte Ho Parde Ki Kya Jarurat)

क्यों छुप के बैठते हो,

परदे की क्या जरुरत,

भक्तों को यूँ सताने की,

भक्तों को यूँ सताने की,

अच्छी नहीं है आदत,

क्यो छुप के बैठते हो,

परदे की क्या जरुरत ॥


माना की मुरली वाले,

बांकी तेरी अदा है,

तेरी सांवरी छवि पे,

सारा ये जग फ़िदा है,

लेकिन हो कारे कारे,

लेकिन हो कारे कारे,

ये भी तो है हकीकत,

क्यो छुप के बैठते हो,

परदे की क्या जरुरत ॥


टेढ़ी तेरी छवि है,

तिरछी है तेरी आँखे,

टेढ़ा मुकुट है सर पे,

टेढ़ी है तेरी बातें,

करते हो तुम क्यों सांवरे,

करते हो तुम क्यों सांवरे,

भक्तो से ये शरारत,

क्यो छुप के बैठते हो,

परदे की क्या जरुरत ॥


हमको बुला के मोहन,

क्यों पर्दा कर लिया है,

हम गैर तो नहीं है,

हमने भी दिल दिया है,

देखूं मिला के नज़रे,

देखूं मिला के नज़रे,

दे दो जरा इजाजत,

क्यो छुप के बैठते हो,

परदे की क्या जरुरत ॥


दिलदार तेरी यारी,

हमको जहाँ से प्यारी,

तेरी सांवरी सलोनी,

सूरत पे ‘रोमी’ वारि,

पर्दा जरा हटा दो,

पर्दा जरा हटा दो,

कर दो प्रभु इनायत,

क्यो छुप के बैठते हो,

परदे की क्या जरुरत ॥


क्यों छुप के बैठते हो,

परदे की क्या जरुरत,

भक्तों को यूँ सताने की,

भक्तों को यूँ सताने की,

अच्छी नहीं है आदत,

क्यो छुप के बैठते हो,

परदे की क्या जरुरत ॥

........................................................................................................
ओ मेरे गोपाल कन्हैया, मोहन मुरली वाले (O Mere Gopal Kanhaiya Mohan Murliwale)

ओ मेरे गोपाल कन्हैया,
मोहन मुरली वाले,

निर्धन कहे धनवान सुखी (Nirdhan Kahe Dhanwan Sukhi)

दीन कहे धनवान सुखी
धनवान कहे सुख राजा को भारी ।

नित नयो लागे साँवरो (Nit Nayo Lage Sanvaro)

नित नयो लागे साँवरो,
इकि लेवा नज़र उतार,

विजया एकादशी व्रत कथा 2025

हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु के निमित्त व्रत किया जाता है। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहते हैं, जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने