निर्धन कहे धनवान सुखी (Nirdhan Kahe Dhanwan Sukhi)

दीन कहे धनवान सुखी

धनवान कहे सुख राजा को भारी ।


राजा कहे महाराजा सुखी

महाराजा कहे सुख इंद्र को भारी ।


इंद्र कहे चतुरानन को सुख

ब्रह्मा कहे सुख विष्णु को भारी ।


तुलसीदास विचार कहे

हरि भजन विना सब जीव दुखारी ।


निर्धन कहे धनवान सुखी

धनवान कहे सुख राजा को भारी ।


राजा कहे चक्रवर्ती सुखी

चक्रवर्ती कहे सुख इन्द्र को भारी ।


इन्द्र कहे श्री राम सुखी

श्री राम कहे सुख संत को भारी ।


संत कहे संतोष में सुख है

बिनु संतोष सब दुनिया दुःखारी ।

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चैत्र माह की पौराणिक कथा

नवरात्रि का अर्थ नौ रातें होता है, जो हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि। इस दौरान मां दुर्गा की पूजा आराधना की जाती है। उनके नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्र का खास महत्व है।

सत्संगति से प्यार करना सीखोजी(Sat Sangati Se Pyar Karana Sikho Ji)

सत्संगति से प्यार करना सीखोजी
जीवन का उद्धार करना सीखोजी

महांकाल मेरी मंजिल, उज्जैन है ठिकाना (Mahakal Meri Manzil Ujjain Hai Thikana)

महाकाल मेरी मंजिल,
उज्जैन है ठिकाना,

मुझे राधे नाम सुनाई दे (Mujhe Radhe Naam Sunai De)

राधे राधे! जय श्री राधे राधे...

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