म्हाने शेरोवाली मैया, राज रानी लागे(Mhane Sherawali Maiya Rajrani Laage)

म्हाने प्राणा सु भी प्यारी,

माता रानी लागे,

माता रानी लागे,

म्हाने शेरोवाली मैया,

राज रानी लागे ॥


हाथां ले त्रिशूल भवानी,

सिंह पे चढ़ के आई,

घर में म्हारे आकर मैया,

म्हारो मान बढाई,

म्हापे हुकुम चलावे,

माँ धिरानी लागे,

म्हाने शेरावाली मैया,

राज रानी लागे ॥


थारा चरण पड्या तो मैया,

खुल गई क़िस्मत म्हारी,

‘हर्ष’ कवे माँ टाबरिया पे,

हो गई किरपा भारी,

थारी म्हारी मैया प्रीत,

पुराणी लागे पुराणी लागे,

म्हाने शेरावाली मैया,

राज रानी लागे ॥


म्हाने प्राणा सु भी प्यारी,

माता रानी लागे,

माता रानी लागे,

म्हाने शेरोवाली मैया,

राज रानी लागे ॥

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मन धीर धरो घबराओ नहीं(Mann Dheer Dharo Ghabrao Nahin)

मन धीर धरो घबराओ नहीं,
श्री राम मिलेंगे कहीं ना कहीं,

आषाढ़ कृष्ण पक्ष की योगिनी एकादशी (aashaadh krishn paksh ki yogini ekaadashi)

युधिष्ठिर ने कहा कि हे श्री मधुसूदन जी ! ज्येष्ठ शुक्ल की निर्जला एकादशी का माहात्म्य तो मैं सुन चुका अब आगे आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या नाम है और क्या माहात्म्य है कृपाकर उसको कहने की दया करिये।

प्रदोष व्रत की कथा

हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। पंचांग के मुताबिक साल 2025 का पहला प्रदोष व्रत 11 जनवरी को रखा जाएगा, इस दिन शनिवार होने के कारण यह शनि प्रदोष भी कहलाएगा।

विश्वेश्वर व्रत कथा

सनातन धर्म में प्राचीन काल से ही विश्वेश्वर व्रत भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत पवित्र व्रत है। इस व्रत को शिव जी की कृपा प्राप्त करने के उद्देश्य से रखा जाता है।

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