राजा राम आइये, प्रभु राम आइये, मेरे भोजन का, भोग लगाइये( Raja Ram Aaiye Mere Bhojan Ka Bhog Lagaiye)

राजा राम आइये,

प्रभु राम आइये,

मेरे भोजन का,

भोग लगाइये ॥


आचमनी अर्घा आरती,

यही यहाँ मेहमानी,

रुखी रोटी पाओ प्रेम से,

पियो नदी का पानी,

राजा राम आइयें,

प्रभु राम आइये,

मेरे भोजन का,

भोग लगाइये ॥


भूल करोगे यदि तज दोगे,

भोजन रुखे सुखे,

एकादशी आज मन्दिर में,

बैठे रहोगे भूखे,

राजा राम आइयें,

प्रभु राम आइये,

मेरे भोजन का,

भोग लगाइये ॥


राजा राम आइये,

प्रभु राम आइये,

मेरे भोजन का,

भोग लगाइये ॥

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सालासर धाम निराला बोलो जय बालाजी (Salasar Dham Nirala Bolo Jay Balaji)

सालासर धाम निराला,
की बोलो जय बालाजी,

भोले भोले रट ले जोगनी (Bhole Bhole Rat Le Jogani)

भोले भोले रट ले जोगनी,
शिव ही बेड़ा पार करे,

रूक्मिणी-श्रीकृष्ण के विवाह से जुड़ी कथा

पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है, जो इस साल 22 दिसंबर को पड़ रही है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की पहली पत्नी देवी रुक्मिणी के जन्म की याद में मनाया जाता है।

मन के मंदिर में प्रभु को बसाना(Man Ke Mandir Mein Prabhu Ko Basana)

मन के मंदिर में प्रभु को बसाना,
बात हर एक के बस की नहीं है,

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