सालासर वाले तुम्हें, आज हम मनाएंगे (Salasar Wale Tumhe Aaj Hum Manayenge)

सालासर वाले तुम्हें,

आज हम मनाएंगे,

महिमा तेरी गाएंगे,

तुझको रिझाएंगे,

सालासर वाले तुम्हे,

आज हम मनाएंगे ॥


जब कभी भी हमको बाबा,

तेरी याद आएगी,

सालासर आएँगे,

तेरी पूजा हम रचाएंगे,

सालासर वाले तुम्हे,

आज हम मनाएंगे ॥


देव तुम निराले हो,

भक्तो के प्यारे हो,

चरणों में तेरे रहेंगे,

दूर नहीं जाएंगे,

सालासर वाले तुम्हे,

आज हम मनाएंगे ॥


तुमने अपने भक्तो की,

बिगड़ी हर बनाई है,

खाली झोली लाए है,

झोली भर ले जाएंगे,

सालासर वाले तुम्हे,

आज हम मनाएंगे ॥


सालासर वाले तुम्हें,

आज हम मनाएंगे,

महिमा तेरी गाएंगे,

तुझको रिझाएंगे,

सालासर वाले तुम्हे,

आज हम मनाएंगे ॥


........................................................................................................
सूर्य स्तोत्र

विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः।
लोक प्रकाशकः श्री मांल्लोक चक्षुर्मुहेश्वरः ॥ लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा।

पुत्रदा एकादशी 2025

पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा या वैकुंठ एकादशी भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन पुत्र या संतान प्राप्ति के लिए उपाय करने से सफलता मिलती है। मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

वो कौन है जिसने हम को दी पहचान है (Wo Kon Hai Jisne Humko Di Pahachan Hai)

वो कौन है जिसने,
हम को दी पहचान है,

धनतेरस व्रत कथा: माता लक्ष्मी और किसान की कहानी (Mata Laxmi aur kisan ki kahani: Dhanteras ki vrat Katha)

एक बार भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता पृथ्वी लोक पर घूम रहे थे। विष्णु जी किसी काम से दक्षिण दिशा की ओर चले गए और लक्ष्मी माता को वहीं पर रूकने के लिए कहा।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने