सर पे चुनरिया लाल, और हाथों में मेहंदी रचाई है (Sar Pe Chunariya Lal Aur Hatho Mein Mehandi Rachai Hai)

सर पे चुनरिया लाल,

और हाथों में मेहंदी रचाई है,

भक्तो के घर माँ आई है,

सर पे चूनरिया लाल,

सर पे चूनरिया लाल,

और हाथों में मेहंदी रचाई है,

भक्तो के घर माँ आई है,

सर पे चूनरिया लाल ॥


मेरे घर आँगन में,

मैया पधारी है,

मेरी तो मौज है,

मैया को पा करके,

ऐसा लगा जैसे,

दिवाली रोज है,

प्यार का उपहार,

प्यार का उपहार,

भक्तो के लिए माँ लाइ है,

भक्तो के घर माँ आई है,

सर पे चूनरिया लाल ॥


भूलकर सारी,

दुःख और तकलीफें,

मैया का ध्यान धरो,

ठाठ कर देगी,

गर मान जाएगी,

जरा गुणगान करो,

मैया के दरबार,

मैया के दरबार,

में होती सबकी सुनवाई है,

भक्तो के घर माँ आई है,

सर पे चूनरिया लाल ॥


कर दो दया इतनी,

जब भी बुलाऊँ मैं,

लगे तू पास है,

‘शिवम’ तेरा मेरा,

नाता पुराना है,

ये रिश्ता खास है,

रखकर के विश्वास,

रखकर के विश्वास जिसने,

माँ की ज्योत जगाई है,

भक्तो के घर माँ आई है,

सर पे चूनरिया लाल ॥


सर पे चुनरिया लाल,

और हाथों में मेहंदी रचाई है,

भक्तो के घर माँ आई है,

सर पे चूनरिया लाल,

सर पे चूनरिया लाल,

और हाथों में मेहंदी रचाई है,

भक्तो के घर माँ आई है,

सर पे चूनरिया लाल ॥


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अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं (Achyutam Keshavam Krishna Damodaram)

अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम ।

रंग पंचमी पर देवताओं को कौन सा रंग चढ़ाएं

रंग पंचमी 2025 इस वर्ष 21 मार्च को मनाई जाएगी। यह पर्व होली के पांचवें दिन फाल्गुन मास की शुक्ल पंचमी तिथि को आता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, रंग पंचमी का दिन देवी-देवताओं को समर्पित होता है और इस दिन वे भी गीले रंगों से होली खेलते हैं।

रंग पंचमी कैसे मनाई जाती है

रंग पंचमी भारत का एक प्रमुख रंगीन त्योहार है, जो होली के पांच दिन बाद मनाया जाता है। इसे भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की होली से जोड़कर देखा जाता है।

मन की मुरादें, पूरी कर माँ(Mann Mi Muraden Poori Kar Maa)

मन की मुरादें, पूरी कर माँ,
दर्शन करने को मैं तो आउंगी ।

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