सावन सुहाना आया है(Sawan Suhana Aaya Hai)

सावन सुहाना आया है, सावन,

संदेसा माँ का लाया है, सावन ॥


सावन है सुहाना सुहाना सुहाना,

दर्शन माँ का पाना है पाना है पाना ॥


सावन सुहाना आया है, सावन,

संदेसा माँ का लाया है, सावन,

चिंत पुर्णी के द्वार गूंजती,

जय जयकार,

चिंता पुर्णी के द्वार गूंजती,

जय जयकार,

भक्तो के मन भाया है, सावन,

सावन सुहाना आया है,

संदेसा माँ का लाया है ॥


छम छम बरसाए बारिश,

सावन अलबेला,

माँ के भवन पे लगा,

भक्तो का मेला,

लाल ध्वजा उठाए,

झूमते गाते आए,

दुखड़े मिटाने आया है, सावन,

सावन सुहाना आया हैं, सावन,

संदेसा माँ का लाया है, सावन ॥


झूले पड़े है हर,

आम की डाली,

कन्या का रूप धरे,

माँ शेरावाली,

सखियों को संग में ले,

बगिया में झूला झूले,

झूला झुलाने आया है, सावन,

सावन सुहाना आया हैं, सावन,

संदेसा माँ का लाया है, सावन ॥


सावन में करले ‘सरल’,

मन को पावन,

‘लख्खा’ के संग जाके,

करले माँ के दर्शन,

पाप धूल जाए सारे,

कवळे समझो ये सारे,

किस्मत चमकाने आया है, सावन,

सावन सुहाना आया हैं, सावन,

संदेसा माँ का लाया है, सावन ॥


सावन है सुहाना सुहाना सुहाना,

दर्शन माँ का पाना है पाना है पाना ॥


सावन सुहाना आया है, सावन,

संदेसा माँ का लाया है, सावन,

चिंत पुर्णी के द्वार गूंजती,

जय जयकार,

चिंता पुर्णी के द्वार गूंजती,

जय जयकार,

भक्तो के मन भाया है, सावन,

सावन सुहाना आया हैं,

संदेसा माँ का लाया है ॥

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विष्णुशयनी एकादशी एवं चातुर्मास व्रत (Vishnushayanee Ekaadashee Evan Chaaturmaas Vrat)

इस एकादशी का नाम विष्णुशयनी भी है। इसी दिन विष्णुजी का व्रत एवं चातुर्मास्य व्रत प्रारम्भ करना विष्णु पुराण से प्रकट होता है।

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