ज्योति कलश छलके (Jyoti Kalash Chhalake)

ज्योति कलश छलके

ज्योति कलश छलके

ज्योति कलश छलके

ज्योति कलश छलके

हुए गुलाबी, लाल सुनहरे

रंग दल बादल के

ज्योति कलश छलके


घर आंगन वन उपवन उपवन

करती ज्योति अमृत के सींचन

मंगल घट ढल के

मंगल घट ढल के

ज्योति कलश छलके


पात पात बिरवा हरियाला

धरती का मुख हुआ उजाला

सच सपने कल के

सच सपने कल के

ज्योति कलश छलके


ऊषा ने आँचल फैलाया

फैली सुख की शीतल छाया

नीचे आँचल के

नीचे आँचल के

ज्योति कलश छलके


ज्योति यशोदा धरती मैय्या

नील गगन गोपाल कन्हैय्या

श्यामल छवि झलके

श्यामल छवि झलके

ज्योति कलश छलके


अम्बर कुमकुम कण बरसाये

फूल पँखुडियों पर मुस्काये

बिन्दु तुहिन जल के

बिन्दु तुहिन जल के

ज्योति कलश छलके

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मान अकबर का घटाया है (Maan Akbar Ka Ghataya Hain)

मां ज्वाला तेरी देवीय शक्ति, नमन करूं श्रीनायक।
मान भक्तों का बढ़ाया है रे, मान भक्तों का बढ़ाया है।

चैत्र और शारदीय नवरात्रि में अंतर

सनातन परंपरा में नवरात्रि का पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहला चैत्र के महीने में, जिससे हिंदू नव वर्ष की भी शुरुआत होती है, जिसे चैत्र नवरात्रि कहा जाता है। दूसरा, आश्विन माह में आता है, जिसे शारदीय नवरात्रि कहते हैं।

चंद्रदेव की पूजा किस विधि से करें?

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने दो पक्ष होते हैं । पहला कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। प्रत्येक पक्ष की अवधि 15 दिन की होती है।

कुलदेवी की पूजा, जो करता है दिन रात (Kuldevi Ki Puja Jo Karta Hai Din Raat)

कुलदेवी की पूजा,
जो करता है दिन रात,

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