क्यों घबराता है पल पल मनवा बावरे (Kyun Ghabrata Hai Pal Pal Manva Baware)

क्यों घबराता है,

पल पल मनवा बावरे,

चल श्याम शरण में,

मिलेगी सुख की छाँव रे,

जीवन की राह में,

थक गए हो तेरे पाँव रे,

ओ बावरे, ओ बावरे,

क्यूँ घबराता है,

पल पल मनवा बावरे,

चल श्याम शरण में,

मिलेगी सुख की छाँव रे ॥


जो शरण श्याम की लेले,

वो फिर क्यों संकट झेले,

जो श्याम भरोसे रहकर,

जीवन की बाज़ी खेले,

जीत जायेगा हर एक,

हारा दाव रे,

ओ बावरे, ओ बावरे,

क्यूँ घबराता है,

पल पल मनवा बावरे,

चल श्याम शरण में,

मिलेगी सुख की छाँव रे ॥


जो भी इस दुनिया में है,

श्री श्याम भरोसे चलता,

परिवार सदा ही जिसका,

बाबा की कृपा से पलता,

कभी ना रहता खुशियों,

का अभाव रे,

ओ बावरे, ओ बावरे,

क्यूँ घबराता है,

पल पल मनवा बावरे,

चल श्याम शरण में,

मिलेगी सुख की छाँव रे ॥


ये सारे जग का दाता,

हैं सबका भाग्य विधाता,

प्रेमी के हर आंसू का,

सांवरिया मोल चुकाता,

हर प्रेमी के संग है इसको,

लगाव रे,

ओ बावरे, ओ बावरे,

क्यूँ घबराता है,

पल पल मनवा बावरे,

चल श्याम शरण में,

मिलेगी सुख की छाँव रे ॥


सुख दुःख हस हस कर सहना,

पर दूर ना प्रभु से रहना,

ये तेरे संग रहेगा,

मानो ‘रोमी’ का कहना

इसको प्यारा है,

भक्त भजन और भाव रे,

ओ बावरे, ओ बावरे,

क्यूँ घबराता है,

पल पल मनवा बावरे,

चल श्याम शरण में,

मिलेगी सुख की छाँव रे ॥


क्यों घबराता है,

पल पल मनवा बावरे,

चल श्याम शरण में,

मिलेगी सुख की छाँव रे,

जीवन की राह में,

थक गए हो तेरे पाँव रे,

ओ बावरे, ओ बावरे,

क्यूँ घबराता है,

पल पल मनवा बावरे,

चल श्याम शरण में,

मिलेगी सुख की छाँव रे ॥

........................................................................................................
फुलेरा दूज का श्रीकृष्ण से संबंध

फुलेरा दूज का त्योहार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होता है और धूमधाम से मनाया जाता है।

प्रभु के चरणों से सच्चा प्यार: भजन (Parbhu Ke Charno Se Sachha Pyar)

प्रभु के चरणों से गर सच्चा प्यार किसी को हो जाये,
दो चार सहर की बात ही क्या संसार उसी का हो जाये ॥

बोल कन्हैया बोल (Bol Kanhaiya Bol)

वा रे लाला नन्द का,
तूने जनम चराई ढोर,

भोले की सवारी देखो आई रे (Bhole Ki Sawari Dekho Aayi Re)

बाबा की सवारी देखो आई रे,
भोले की सवारी देखो आई रे,

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने