लागी लगन शंकरा - शिव भजन (Laagi Lagan Shankara)

भोले बाबा तेरी क्या ही बात है,

भोले शंकरा तेरी क्या ही बात है,

दूर होकर भी तू साथ है,

दूर होकर भी तू साथ है,

खुद को मैं कर दूँगा तुझको समर्पण,

मैं तेरा अंश हूँ तू मेरा दर्पण,

तेरे ही आने से मेरी ये सारी,

जिंदगी सजी है।


ओ मेरे शंकरा ।

लागी मेरी प्रीत तेरे संग,

मेरे शंकरा ।

लागी मेरी प्रीत तेरे संग,

मेरे शंकरा ।


तू पिता है मेरा,

और तू ही रहेगा,

मेरी हर ग़लती को,

तू हँस कर सहेगा,

तेरे जाप से मन का,

उड़ गया है रे पंछी,

सब तेरी बदौलत है,

आज रघुवंशी,

तू सूक्ष्म है,

और तू ही विशाल है,

तू उत्तर है और,

तू ही सवाल है,

तू ही सत्य है,

बाकी जिंदगी भी ना सगी है,

लागी मेरी तेरे संग लगी ।


ओ मेरे शंकरा ।

लागी मेरी प्रीत तेरे संग,

मेरे शंकरा ।

लागी मेरी प्रीत तेरे संग,

मेरे शंकरा ।


न यावद् उमानाथ पादारविंदं।

भजंतीह लोके परे वा नराणां॥

न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं।

प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं॥


ध्यान में है मगन,

तन पे ओढ़ के रे चोली,

मुझे अपने रंग में रंग दे,

संग खेल में मेरे होली,

यहाँ आसन नीचे,

ना है कोई, खटोली,

मुझे अपने रंग में रंग दे,

संग खेल में मेरे होली,

बस भी करो अब मेरे शंकरा,

भांग रगड़ कर बोली ये गौरा,

तुम नहीं रचे हो गौरा,

लौट के रची है।


ओ मेरे शंकरा ।

लागी मेरी प्रीत तेरे संग,

मेरे शंकरा ।

लागी मेरी प्रीत तेरे संग,

मेरे शंकरा ।

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मैया मैं तेरी पतंग (Maiya Main Teri Patang)

मैया मैं तेरी पतंग,
हवा विच उडदी जावांगी,

जगदम्बे भवानी माँ, तुम कुलदेवी मेरी(Jagdambe Bhawani Maa Tum Kuldevi Meri)

जगदम्बे भवानी माँ,
तुम कुलदेवी मेरी,

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का मुहूर्त

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले गणेश जी की पूजा का विधान है। इसी लिए विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता गणेश जी को समर्पित गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि का बनी रहती है।

करदो करदो बेडा पार राधे अलबेली सरकार - भजन (Kardo Kardo Beda Paar Radhe Albeli Sarkar)

करदो करदो बेडा पार,
राधे अलबेली सरकार ।

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