ले चल अपनी नागरिया, अवध बिहारी साँवरियाँ(Le Chal Apni Nagariya, Avadh Bihari Sanvariya)

ले चल अपनी नागरिया,

अवध बिहारी साँवरियाँ ।

अवध बिहारी सांवरिया,

लें चल अपनी नागरिया ।

ले चल अपनी नागरिया,

अवध बिहारी साँवरियाँ ॥


सरयू के तीर अयोध्या नगरी,

सरयू के तीर अयोध्या नगरी,

संत भरे जहाँ गागरिया,

संत भरे जहाँ गागरिया ,

अवध बिहारी सांवरिया,

लें चल अपनी नागरिया,

ले चल अपनी नागरिया,

अवध बिहारी साँवरियाँ ॥


कनक भवन सिया रघुवर राजे,

कनक भवन सिया रघुवर राजे,

देख भई मैं बावरिया,

देख भई मैं बावरिया,

अवध बिहारी सांवरिया,

लें चल अपनी नागरिया,

ले चल अपनी नागरिया,

अवध बिहारी साँवरियाँ ॥


ले चल अपनी नागरिया,

अवध बिहारी साँवरियाँ,

अवध बिहारी सांवरिया,

लें चल अपनी नागरिया,

ले चल अपनी नागरिया,

अवध बिहारी साँवरियाँ ॥


........................................................................................................
घनश्याम तेरी बंसी, पागल कर जाती है (Ghanshyam Teri Bansi Pagal Kar Jaati Hai)

घनश्याम तेरी बंसी, पागल कर जाती है,

न मैं धान धरती न धन चाहता हूँ: कामना (Na Dhan Dharti Na Dhan Chahata Hun: Kamana)

न मैं धान धरती न धन चाहता हूँ ।
कृपा का तेरी एक कण चाहता हूँ ॥

रामजी ओ रामजी सांचो तेरो नाम जी (Ramji O Ramji Sancho Tero Naamji)

जय रामजी, जय रामजी
जय रामजी, जय रामजी

कालाष्टमी पूजा विधि

सनातन हिन्दू धर्म में कालाष्टमी का काफी महत्व होता है। कालाष्टमी भगवान काल भैरव को समर्पित होता है। इस दिन काल भैरव के पूजन से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। ये पर्व हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने