माँ शारदे! हम तो हैं बालक तेरे(Maa Sharde Ham To Balak Hain Tere)

माँ शारदे, माँ शारदे,

माँ शारदे, माँ शारदे,

ओ मैया हम तो हैं बालक तेरे माँ,

॥माँ शारदे माँ शारदे...॥


तू है दयालु बड़ी,

माँ वीणा पाणी,

करती दया हो सब पे,

अम्बे भवानी,

हो मैया विद्या का आके,

हमको भी भण्डार दे,

॥माँ शारदे, माँ शारदे...॥


करदो हमारी आज,

माँ पूरी आशा,

कब से है ‘शर्मा’ तेरे,

दर्शन का प्यासा,

ओ मैया दर्शन हमे भी,

आ के माँ एक बार दे,

॥माँ शारदे, माँ शारदे...॥


मांगे न ‘लक्खा’ तुमसे,

दौलत खजाना,

सात स्वरों का मुझको,

अमृत पिलाना,

ओ मैया मेरी ही माता के जैसा,

बस प्यार दे,

॥माँ शारदे, माँ शारदे...॥


माँ शारदे माँ शारदे,

मा शारदे माँ शारदे,

ओ मैया हम तो हैं बालक तेरे माँ,

॥माँ शारदे, माँ शारदे...॥

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नाचे नन्दलाल, नचावे हरि की मईआ(Nache Nandlal Nachave Hari Ki Maiya)

नाचे नन्दलाल,
नचावे हरि की मईआ ॥

ब्रह्मानंदम परम सुखदम (Brahamanandam, Paramsukhdam)

ब्रह्मानंदम परम सुखदम,
केवलम् ज्ञानमूर्तीम्,

गुरु प्रदोष व्रत: शिव मृत्युञ्जय स्तोत्र का पाठ

प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को किया जाता है, जो भगवान शिव को समर्पित तिथि है। इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। मार्गशीर्ष मास में कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत का वर्णन और महत्व धार्मिक ग्रंथों और पंचांग में बताया गया है।

श्री शाकम्भरी चालीसा (Shri Shakambhari Chalisa)

बन्दउ माँ शाकम्भरी, चरणगुरू का धरकर ध्यान ।
शाकम्भरी माँ चालीसा का, करे प्रख्यान ॥

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