मनमोहन कान्हा विनती करू दिन रेन(Manmohan Kanha Vinti Karu Din Rain)

मनमोहन कान्हा विनती करू दिन रेन,

राह तके मेरे नैन, राह तके मेरे नैन,

मनमोहन कान्हा विनती करू दिन रेन,

राह तके मेरे नैन, राह तके मेरे नैन,

अब तो दर्श बिना कुञ्ज बिहारी,

मन है बेचैन,

मनमोहन कान्हा विनती करू दिन रेन,

मनमोहन कान्हा विनती करू दिन रेन

नेह की डोरी तुम संग जोड़ी,

हम से तो नाही जाये ये तोड़ी,

हे मुरलीधर कृष्ण मुरारी,

हे मुरलीधर कृष्ण मुरारी,

तनिक न आवे चैन,

राह तके मेरे नैन, राह तके मेरे नैन,

अब तो दर्श बिना कुञ्ज बिहारी, मन है बेचैन,

मनमोहन कान्हा विनती करू दिन रेन,

मनमोहन कान्हा विनती करू दिन रेन


जन्म-जन्म से पंथ निहारु,

बोलो किस विध तुमको पुकारू,

जन्म-जन्म से पंथ निहारु,

बोलो किस विध तुमको पुकारू,

हे नटनागर हे, गिरधारी,

हे नटनागर हे, गिरधारी,

काह न पावे वैर,

राह तके मेरे नैन, राह तके मेरे नैन,

अब तो दर्श बिना कुञ्ज बिहारी, मन है बेचैन,

मनमोहन कान्हा विनती करू दिन रेन,

मनमोहन कान्हा विनती करू दिन रेन

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झोली भर लो भक्तो, दौलत बरसे भोले के दरबार (Jholi Bharlo Bhakto Daulat Barse Bhole Ke Darbar)

झोली भर लो भक्तो
दौलत बरसे भोले के दरबार,

मेरे गणनायक तुम आ जाओ (Mere Gannayak Tum Aa Jao)

मेरे गणनायक तुम आ जाओ,
मैं तो कबसे बाट निहार रही,

आज तो गुरुवार है, सदगुरुजी का वार है (Aaj To Guruwar hai, Sadguru Ka War Hai)

आज तो गुरुवार है, सदगुरुजी का वार है।
गुरुभक्ति का पी लो प्याला, पल में बेड़ा पार है ॥

अन्वाधान व इष्टि क्या है

सनातन हिंदू धर्म में, अन्वाधान व इष्टि दो प्रमुख अनुष्ठान हैं। जिसमें भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए किया करते हैं। इसमें प्रार्थना व पूजा कुछ समय के लिए यानी छोटी अवधि के लिए ही की जाती है।

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