हो लाल मेरी पत रखियो बला - दमादम मस्त कलन्दर (O Lal Meri Pat Rakhiyo Bala Duma Dum Mast Kalandar)

ओ हो, हो हो हो

हो लाल मेरी पत रखियो बला झूले लालण

ओ लाल मेरी पत रखियो बला झूले लालण

सिंदड़ी दा सेवण दा

सखी शाह बाज़ कलन्दर

दमादम मस्त कलन्दर

अली दम दम दे अन्दर

दमादम मस्त कलन्दर

अली दा पैला नम्बर

॥ हो लाल मेरी पत रखियो बला...॥


चार चराग़ तेरे बरण हमेशा॥ चार चराग़ तेरे...॥

पंजवा मैं बारण आई बला झूले लालण

हो पंजवा मैं

पंजवा मैं बारण आई बला झूले लालण


॥ सिंदड़ी दा सेवण दा...॥

॥ हो लाल मेरी पत रखियो बला...॥


हिंद सिंद पीरा तेरी नौबत बाजे॥ हिंद सिंद पीरा तेरी...॥

नाल बजे घड़ियाल बला झूले लालण

हो नाल बजे

नाल बजे घड़ियाल बला झूले लालण


॥ सिंदड़ी दा सेवण दा...॥

॥ हो लाल मेरी पत रखियो बला...॥


ओ हो

हर दम पीरा तेरी ख़ैर होवे॥ हर दम पीरा तेरी...॥

नाम-ए-अली बेड़ा पार लगा झूले लालण

हो नाम-ए-अली

नाम-ए-अली बेड़ा पार लगा झूले लालण


॥ सिंदड़ी दा सेवण दा...॥


हो लाल मेरी पत रखियो बला झूले लालण

ओ लाल मेरी पत रखियो बला झूले लालण

सिंदड़ी दा सेवण दा

सखी शाह बाज़ कलन्दर

दमादम मस्त कलन्दर

अली दम दम दे अन्दर

दमादम मस्त कलन्दर

अली दा पैला नम्बर

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होलाष्टक से जुड़े पौराणिक कथा

होलाष्टक का सबसे महत्वपूर्ण कारण हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कथा से जुड़ा है। खुद को भगवान मानने वाला हिरण्यकश्यप अपने बेटे प्रह्लाद की भक्ति से नाराज था।

हे गजानन पधारो (Hey Gajanan Padharo)

सिद्धिविनायक मंगलमूर्ति,
विघ्नहरण सुखपाल जी,

यशोदा जयंती व्रत यम-नियम

सनातन हिंदू धर्म में, यशोदा जयंती का दिन विशेष महत्व रखता है। इस दिन व्रत के साथ माता यशोदा और भगवान श्री कृष्ण के पूजन का भी विधान है। इस पर्व पर शुद्ध भाव से पूजा-पाठ, व्रत और सेवा करने से माता यशोदा और भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।

थोड़ा देता है या ज्यादा देता है (Thoda Deta Hai Ya Jyada Deta Hai)

थोड़ा देता है या ज्यादा देता है,
हमको तो जो कुछ भी देता,

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