साथी हारे का तू, मुझको भी श्याम जीता दे(Sathi Hare Ka Tu Mujhko Bhi Shyam Jeeta De)

साथी हारे का तू,

मुझको भी श्याम जीता दे,

मेरा ये नसीबा भी,

सोया है जगा दे,

साथी हारें का तू,

मुझको भी श्याम जीता दे ॥


दुनिया में घुमा मुझे,

मिली रुसवाई है,

अपनों से जख्म मिले,

आँख भर आई है,

सबको निभाते हो,

सबको निभाते हो,

मुझे भी निभा दे,

साथी हारें का तू,

मुझको भी श्याम जीता दे ॥


तुमसे छुपाऊं क्या मैं,

तुम्हे सब पता है,

हाथ जोड़ माफ़ी मांगू,

हुई जो खता है,

दयालु दया थोड़ी,

दयालु दया थोड़ी,

मुझपे भी लुटा दे,

साथी हारें का तू,

मुझको भी श्याम जीता दे ॥


हारे का सहारा है तू,

मैं भी एक हारा,

इतिहास कहता तुमने,

लाखों को उबारा,

‘मोहित’ मेरी भी,

‘मोहित’ मेरी भी,

किस्मत सजा दे,

साथी हारें का तू,

मुझको भी श्याम जीता दे ॥


साथी हारे का तू,

मुझको भी श्याम जीता दे,

मेरा ये नसीबा भी,

सोया है जगा दे,

साथी हारें का तू,

मुझको भी श्याम जीता दे ॥

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फाल्गुन अमावस्या की कथा

फाल्गुन अमावस्या का दिन पितृों को समर्पित होता है। इस दिन उनका पिंडदान करना चाहिए। इस दिन से जुड़ी कई कथाएं भी है।

ये बाबा बहुत बड़ा हैं (Ye Baba Bahut Bada Hai)

हर भक्तों के दिल से निकले,
एक यही आवाज़,

श्री सूर्य देव चालीसा (Shri Surya Dev Chalisa)

कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग।
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥

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