शक्ति दे मां शक्ति दे मां (Shakti De Maa Shakti De Maa)

शक्ति दे मां शक्ति दे मां, शक्ति दे मां शक्ति दे मां।


पग पग ठोकर खाऊं, चल ना पाऊं, कैसे आऊं मैं घर तेरे।

शक्ति दे माँ शक्ति दे माँ, शक्ति दे माँ शक्ति दे माँ॥


पग पग ठोकर खाऊं, चल ना पाऊं, कैसे आऊं मैं घर तेरे।

शक्ति दे माँ शक्ति दे माँ, शक्ति दे माँ शक्ति दे माँ॥


हाथ पकड़ ले हाथ बढ़ा दे, अपने मंदिर तक पहुंचा दे।

हाथ पकड़ ले हाथ बढ़ा दे, अपने मंदिर तक पहुंचा दे॥

सर पर दुःख की रैना, नाही चैना, प्यासे नैना दर्शन के।

शक्ति दे माँ शक्ति दे माँ, शक्ति दे माँ शक्ति दे माँ॥


जग में जिसका नाम है जीवन, इक युग है संग्राम है जीवन।

जग में जिसका नाम है जीवन, इक युग है संग्राम है जीवन॥

तेरा नाम पुकारा, दुःख का मारा, हारा माँ इस जीवन से।

शक्ति दे माँ शक्ति दे माँ, शक्ति दे माँ शक्ति दे माँ॥


तेरे द्वारे जो भी आया, उसने जो माँगा वो पाया।

तेरे द्वारे जो भी आया, उसने जो माँगा वो पाया॥

मैं भी तेरा सवाली, शक्तिशाली शेरों वाली माँ जगदम्बे।

शक्ति दे माँ शक्ति दे माँ, शक्ति दे माँ शक्ति दे माँ॥


पग पग ठोकर खाऊं, चल ना पाऊं, कैसे आऊं मैं घर तेरे।

शक्ति दे माँ शक्ति दे माँ, शक्ति दे माँ शक्ति दे माँ॥


........................................................................................................
मौनी अमावस्या के उपाय

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, माघ का महीना 11वां होता है। इस माह में पड़ने वाले व्रत का विशेष महत्व होता है। इनमें मौनी अमावस्या भी शामिल है। माघ माघ की अमावस्या को मौनी अमावस्या भी कहा जाता है।

ऐसा प्यार बहा दे मैया (Aisa Pyar Baha De Maiya)

या देवी सर्वभूतेषु,
दया-रूपेण संस्थिता ।

झंडा हनुमान का, सालासर धाम का: भजन (Jhanda Hanuman Ka Salasar Dham Ka)

संकट काटे पलभर में ये,
भक्तों सारे जहान का,

हरियाली तीज (Hariyali Teej)

हरियाली तीज, जिसे श्रावण तीज के नाम से भी जाना जाता है, एक पारंपरिक हिंदू त्योहार है जो भारत और नेपाल में मनाया जाता है। हरियाली तीज का अर्थ है "हरियाली की तीज" या "हरित तीज"। यह नाम इसलिए पड़ा है क्योंकि यह त्योहार मानसून के मौसम में मनाया जाता है, जब प्रकृति में हरियाली का प्रवेश होता है। यह पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर जुलाई या अगस्त में पड़ती है। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा का विधान है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने