शंकर तेरी जटा से बहती है गंग धारा (Shankar Teri Jata Se Behti Hai Gang Dhara)

शंकर तेरी जटा से,

बहती है गंग धारा,

काली घटा के अंदर,

जु दामिनी उजाला,

शंकर तेरी जटा से,

बहती है गंग धारा ॥


गल में मुंड माला की साजे,

शशि भाल में गंग विराजे,

डम डम डमरू बाजे,

कर में त्रिशूल धारा,

शंकर तेरी जटा से,

बहती है गंग धारा ॥


भृग में तीन है तेज विसारे,

कटीबंद में नाग सवारे,

कहलाते कैलाश पति ये,

करते जहाँ विसारा,

शंकर तेरी जटा से,

बहती है गंग धारा ॥


शिव के नाम को जो उच्चारे,

सबके पाप दोष दुःख हारे,

सारी श्रष्टि के दाता ये,

भव से पार उतारे,

शंकर तेरी जटा से,

बहती है गंग धारा ॥


शंकर तेरी जटा से,

बहती है गंग धारा,

काली घटा के अंदर,

जु दामिनी उजाला,

शंकर तेरी जटा से,

बहती है गंग धारा ॥

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नवरात्रों की आई है बहार (Navratro Ki Aayi Hai Bahar)

नवरात्रों की आई है बहार,
जयकारे गूंजे मैया के,

सच्चा है माँ का दरबार, मैय्या का जवाब नहीं (Saccha Hai Maa Ka Darbar, Maiya Ka Jawab Nahi)

दरबार हजारो देखे है,
पर माँ के दर सा कोई,

वसंत पूर्णिमा की पूजा विधि

भारत में पूर्णिमा का बहुत महत्व है और देश के प्रमुख क्षेत्रों में इसे पूर्णिमा कहा जाता है। पूर्णिमा का दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि अधिकांश प्रमुख त्यौहार या वर्षगांठ इसी दिन पड़ती हैं।

तेरी करती रहूँ मैं चाकरी, वरदान यही मैं चाहूँ(Teri Karti Rahu Main Chakri Vardan Yahi Main Chahu)

तेरी करती रहूं मैं चाकरी,
वरदान यही मैं चाहूँ,

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