उलझ मत दिल बहारो में 2 (Ulajh Mat Dil Bharo Me -2)

उलझ मत दिल बहारो में बहारो का भरोसा क्या,

सहारे छुट जाते है सहरो का बरोसा क्या


तमनाये जो तेरी है फुहारे है वो सवान की,

फुहारे है सुक जाती है फुकारो का भरोसा क्या


उलझ मत दिल बहारो में बहारो का भरोसा क्या,

सहारे छुट जाते है सहरो का बरोसा क्या


दिलासे यो यहाँ के सभी रंगिन नजारे है,

नजारे रूसे जाते है नजारों का भरोसा क्या


उलझ मत दिल बहारो में बहारो का भरोसा क्या,

सहारे छुट जाते है सहरो का बरोसा क्या


इन्ही रंगीन गुबारों पर आरे दिल क्यों फ़िदा होता,

गुबारे फुट जाते है दुबारो का भरोसा क्या


उलझ मत दिल बहारो में बहारो का भरोसा क्या,

सहारे छुट जाते है सहरो का बरोसा क्या


तू हरी का नाम लेकर के किनारों से किनारा कर,

किनारे कूट जाते है किनारों का भरोसा क्या


उलझ मत दिल बहारो में बहारो का भरोसा क्या,

सहारे छुट जाते है सहरो का बरोसा क्या

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एक तमन्ना माँ है मेरी(Ek Tamanna Ma Hai Meri)

एक तमन्ना माँ है मेरी,
दिल में बसा लूँ सूरत तेरी,

गजरा गिर गया जमुना जल में (Gajara Gir Gaya Jamuna Jal Me)

जमुना के तट पर,
मारी नजरिया ऐसी सांवरिया ने,

मां ज्वाला देवी की कथा

मां भगवती के 51 शक्तिपीठों में से एक, ज्वालामुखी मंदिर, अपनी अनूठी विशेषता के लिए प्रसिद्ध है। इसे 'जोता वाली मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता सती के शरीर के टुकड़े जहां-जहां गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ स्थापित हुए।

नरसिंह द्वादशी व्रत विधि

नरसिंह द्वादशी सनातनियों का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह को समर्पित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, अपने प्रिय भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु ने रौद्र रूप में अवतार लिया था, जिन्हें लोग आज नरसिंह भगवान के रूप में पूजते हैं।

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