भोले शंकर मैं तुम्हारा, लगता नहीं कोई (Bhole Shankar Main Tumhara Lagta Nahi Koi)

भोले शंकर मैं तुम्हारा,

लगता नहीं कोई,

पर जितना किया तुमने,

करता नहीं कोई,

भोले शंकर मै तुम्हारा,

लगता नहीं कोई ॥


जब जब भी दिल ये मेरा,

उदास होता है,

तू मेरे पास खड़ा,

अहसास होता है,

ढूंढा तेरे जैसा भोले,

मिलता नहीं कोई,

भोले शंकर मै तुम्हारा,

लगता नहीं कोई ॥


कोई भी मुसीबत को,

ना पास भटकने दे,

बेटे की अँखियों से,

ना आंसू टपकने दे,

जज्बा तेरे जैसा बाबा,

रखता नहीं कोई,

भोले शंकर मै तुम्हारा,

लगता नहीं कोई ॥


जब जब भी पुकारूँ मैं,

जब भी फरियाद करूँ,

मुझे ऐसा लगता है,

तुमको नाराज करूँ,

वो गलती करता हूँ जो,

करता नहीं कोई,

भोले शंकर मै तुम्हारा,

लगता नहीं कोई ॥


‘बनवारी’ प्यार मेरा,

पहचानता नहीं,

मेरी गोद में बैठा है,

तू जानता नहीं,

गोदी में किसी को यूँ ही,

रखता नहीं कोई,

ये मत कहना तू मेरा,

लगता नहीं कोई,

भोले शंकर मै तुम्हारा,

लगता नहीं कोई ॥


भोले शंकर मैं तुम्हारा,

लगता नहीं कोई,

पर जितना किया तुमने,

करता नहीं कोई,

भोले शंकर मै तुम्हारा,

लगता नहीं कोई ॥

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कभी दुर्गा बनके, कभी काली बनके (Kabhi Durga Banke Kabhi Kali Banke)

कभी दुर्गा बनके,
कभी काली बनके,

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सूरत बड़ी है प्यारी माँ की,
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इष्टि पौराणिक कथा और महत्व

इष्टि, वैदिक काल का एक विशेष प्रकार का यज्ञ है। जो इच्छाओं की पूर्ति और जीवन में शांति लाने के उद्देश्य से किया जाता है। संस्कृत में 'इष्टि' का अर्थ 'यज्ञ' होता है। इसे हवन की तरह ही आयोजित किया जाता है।

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