हे बांके बिहारी गिरधारी हो प्यार तुम्हारे चरणों में (Hey Banke Bihari Girdhari Ho Pyar Tumhare Charno Mein)

हे बांके बिहारी गिरधारी,

हो प्यार तुम्हारे चरणों में,

नटवर मधुसुदन बनवारी,

हो प्यार तुम्हारे चरणों में,

हे बाँके बिहारी गिरधारी,

हो प्यार तुम्हारे चरणों में ॥


मैं जग से ऊब चुका मोहन,

सब जग को परख चुका सोहन,

अब शरण तिहारी गिरधारी,

हो प्यार तुम्हारे चरणों में,

हे बाँके बिहारी गिरधारी,

हो प्यार तुम्हारे चरणों में ॥


पापी या जापी नर-नारी,

इन चरणों से जिनकी यारी,

उनके हरि हो तुम भयहारी,

हो प्यार तुम्हारे चरणों में,

हे बाँके बिहारी गिरधारी,

हो प्यार तुम्हारे चरणों में ॥


भाई सुत दार कुटुम्बी जन,

मैं मेरे के सिगरे बंधन,

सब स्वारथ के संसारी,

हो प्यार तुम्हारे चरणों में,

हे बाँके बिहारी गिरधारी,

हो प्यार तुम्हारे चरणों में ॥


नख कुंद कांती कस्तूरी सम,

चर्चित चन्दन अर्पित मम मन,

तेरे चरणों की बलिहारी,

हो प्यार तुम्हारे चरणों में,

हे बाँके बिहारी गिरधारी,

हो प्यार तुम्हारे चरणों में ॥


मैं सुख में रहूं चाहे दुःख में रहूं,

काँटों में रहूं फूलो में रहूं,

वन में घर में जहाँ भी रहूं,

हो प्यार तुम्हारे चरणों में,

हे बाँके बिहारी गिरधारी,

हो प्यार तुम्हारे चरणों में ॥


मन के मंदिर में आओ तुम,

नस नस में श्याम समाओ तुम,

तुम्हरे हैं हम हमरे हो तुम,

हो प्यार तुम्हारे चरणों में,

हे बाँके बिहारी गिरधारी,

हो प्यार तुम्हारे चरणों में ॥


इस जीवन के तुम जीवन हो,

हे श्याम तुम्ही मेरे धन हो,

सुख शांति मूल तप चिंतन हो,

हो प्यार तुम्हारे चरणों में,

हे बाँके बिहारी गिरधारी,

हो प्यार तुम्हारे चरणों में ॥


हे बांके बिहारी गिरधारी,

हो प्यार तुम्हारे चरणों में,

नटवर मधुसुदन बनवारी,

हो प्यार तुम्हारे चरणों में,

हे बाँके बिहारी गिरधारी,

हो प्यार तुम्हारे चरणों में ॥

........................................................................................................
होली आई रे होली आई रे(Holi Ae Re Holi Aae Re)

होली आई रे होली आई रे होली आई वृन्दावन खेले गोरी
भागन पे आयो है फागण महीना कभू प्रेम की होरी बईं न,

जग में सुन्दर है दो नाम(Jag Main Sundar Hain Do Naam)

जग में सुन्दर हैं दो नाम,
चाहे कृष्ण कहो या राम ।

100 साल बाद सूर्यग्रहण और शनि का अशुभ संयोग

29 मार्च 2025 का दिन खगोलीय दृष्टि से बेहद खास और दुर्लभ रहने वाला है। लगभग 100 वर्षों बाद ऐसा संयोग बन रहा है, जब सूर्यग्रहण और शनि गोचर एक ही दिन हो रहे हैं।

माता जानकी के जन्म से जुड़ी कथा

माता जानकी का जन्म अष्टमी तिथि को हुआ था, जब राजा जनक ने एक दिन खेत जोतते समय एक कन्या को पाया। उन्होंने उसे अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया और उसका पालन-पोषण किया।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने