होली आई रे होली आई रे(Holi Ae Re Holi Aae Re)

होली आई रे होली आई रे होली आई वृन्दावन खेले गोरी ॥

भागन पे आयो है फागण महीना कभू प्रेम की होरी बईं न,

हिरदये की आशा लता खिली है उमगी उमगी रस धारा वही है,

खूब चली पिचकारी रे पिचकारी चला दो भर जोरि,

होली आई रे होली आई रे होली आई वृन्दावन खेले गोरी ॥


गोरी रंगीली होरी खेलन को आओ,

सोला शृंगार कर खेलन पधारो,

ढोलक मंजीरा और जांज बजाओ,

सखियाँ की सेना लेके नाचन को आओ,

घर घर से बन आई बन आई शक्ल ब्रिज की गोरी,

होली आई रे होली आई रे होली आई वृन्दावन खेले गोरी ॥


जा जा निर्मोही छेला मोह से न करो बात,

छलियाँ निर्मोही तुमको करो धात,

मीठी मीठी बातन से मन न लुभाओ ,

मैं तो हारी मोहे अब न सताओ,

मैंने परख ले चतुराई रे ,

चतुराई परख ले अब टोरी,

होली आई रे होली आई रे होली आई वृन्दावन खेले गोरी ॥

........................................................................................................
रानी सती आज मेरे घर आई(Rani Sati Aaj Mere Ghar Aayi)

रानी सती आज मेरे घर आई,
घर आई माँ घर आई,

भोलेनाथ की शादी है हम सारे जाऐंगे (Bholenath Ki Shadi Hai Hum Sare Jayege)

भोलेनाथ की शादी है हम सारे जाऐंगे,
भोलेनाथ की शादी में नाचेंगे गाएंगे,

मासिक शिवरात्रि शिव तांडव स्तोत्र

वैदिक ज्योतिष में मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत को भगवान शिव की कृपा पाने का विशेष अवसर माना गया है। इस दिन भक्त अपने-अपने तरीके से भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं और शिवजी को प्रसन्न करने के लिए व्रत भी रखते हैं।

गणेश चालीसा (Ganesh Chalisa)

प्रथम वंदनीय गणेशजी को समर्पित मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की आराधना का विशेष महत्व है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने