हे कृष्ण गोपाल हरि हे दीन दयाल हरि (Hey Krishna Gopal Hari He Deen Dayal Hari)

हे कृष्ण गोपाल हरि,

हे दीन दयाल हरि,

हे कृष्ण गोपाल हरी,

हे दीन दयाल हरि,

हे कृष्ण गोपाल हरी,

हे दीन दयाल हरि ॥


तुम करता तुम ही कारण,

परम कृपाल हरी,

हे दीन दयाल हरि,

हे कृष्ण गोपाल हरी,

हे दीन दयाल हरि ॥


रथ हाके रणभूमि में,

और कर्म योग के मर्म बताये,

अजर अमर है परम तत्व यूँ,

काया के सुख दुःख समझाये,

सखा सारथी शरणागत के,

सदा प्रितपाल हरी,

हे दीन दयाल हरि,

हे कृष्ण गोपाल हरी,

हे दीन दयाल हरि ॥


श्याम के रंग में रंग गयी मीरा,

रस ख़ान तो रस की ख़ान हुई,

जग से आखे बंद करी तो,

सुरदास ने दरस किये,

मात यशोदा ब्रज नारी के,

माखन चोर हरी,

हे दीन दयाल हरि,

हे कृष्ण गोपाल हरी,

हे दीन दयाल हरि ॥


हे कृष्ण गोपाल हरि,

हे दीन दयाल हरि,

हे कृष्ण गोपाल हरी,

हे दीन दयाल हरि,

हे कृष्ण गोपाल हरी,

हे दीन दयाल हरि ॥

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माखन खा गयो माखनचोर(Makhan Kha Gayo Makhan Chor)

नटखट नटखट नंदकिशोर,
माखन खा गयो माखनचोर,

नैनन में श्याम समाए गयो(Nainan Me Shyam Samay Gayo)

नैनन में श्याम समाए गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ।

फागुन माह का पहला प्रदोष व्रत

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन भक्त भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

क्षिप्रा के तट बैठे है, मेरे भोले भंडारी (Shipra Ke Tat Baithe Hai Mere Bhole Bhandari)

क्षिप्रा के तट बैठे है,
मेरे भोले भंडारी,

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