जहाँ ले चलोगे, वही मैं चलूँगा (Jaha Le Chaloge Vahi Me Chalunga)

जहाँ ले चलोगे, वही मैं चलूँगा,

जहाँ नाथ रख लोगे, वही मैं रहूँगा ।


ये जीवन समर्पित, चरण में तुम्हारे,

तुम्ही मेरे सर्वस्व, तुम्ही प्राण प्यारे,

तुम्हे छोड़कर नाथ, किससे रहूँगा ।

जहाँ ले चलोगे, वही मैं चलूँगा,

जहाँ नाथ रख लोगे, वही मैं रहूँगा ॥


दयानाथ दयानिधि, मेरी अवस्था,

तेरे ही हाथो में, मेरी व्यवस्था,

कहना होगा जो भी, तुमसे रहूँगा ।

जहाँ ले चलोगे, वही मैं चलूँगा,

जहाँ नाथ रख लोगे, वही मैं रहूँगा ॥


ना कोई शिकायत, ना कोई अर्जी,

कहलो करालो, जो तेरी मर्जी,

सहाओगे जो भी, हंस के सहूँगा ।

जहाँ ले चलोगे, वही मैं चलूँगा,

जहाँ नाथ रख लोगे, वही मैं रहूँगा ॥


जहाँ ले चलोगे, वही मैं चलूँगा,

जहाँ नाथ रख लोगे, वहीं मैं रहूँगा ।

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बिना राम रघुनंदन के, कोई नहीं है अपना रे (Bina Ram Raghunandan Ke Koi Nahi Hai Apna Re)

बिना राम रघुनंदन के,
कोई नहीं है अपना रे,

कार्तिक मास के फायदे

कार्तिक मास के दौरान लोग दिल खोल कर दान पुण्य करते हैं। भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में बसे वैसे लोग जो गंगा किनारे नहीं हैं वे कार्तिक माह में गंगा किनारे आकर रहते हैं।

आरती श्री राम रघुवीर जी की (Aarti Shri Ram Raghuveer Ji Ki)

ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन।
हरण दुख द्वन्द, गोविन्द आनन्दघन॥

मत्स्य द्वादशी के विशेष उपाय

मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मत्स्य द्वादशी के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार को समर्पित है।

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