जैसे होली में रंग, रंगो में होली (Jaise Holi Mein Rang Rango Mein Holi)

जैसे होली में रंग,

रंगो में होली

वैसे कान्हा मेरा,

मैं कान्हा की हो ली

रोम रोम मेरा,

कान्हा से भरा

अब कैसे में खेलूँ री,

आँखमिचोली ॥


मैं तो कान्हा से मिलने अकेली चली,

संग संग मेरे,

सारे रंग चले,

ज़रा बचके रहो,

ज़रा हटके चलो,

बड़ी नटखट है,

नव रंगों की टोली ॥


अब तो तन मन पे श्याम रंग चढा,

कंचन के तन रतन जडा,

बनठन के मैं बैठी,

दुल्हन की तरहा,

कान्हा लेके चला,

मेरे प्रेम की डोली ॥


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राम नाम का प्याला प्यारे, पि ले सुबहो शाम(Ram Naam Ka Pyala Pyare Pi Le Subaho Sham)

राम नाम का प्याला प्यारे,
पि ले सुबहो शाम,

अनंग त्रयोदशी व्रत कथा

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को अनंग त्रयोदशी कहा जाता है। अनंग त्रयोदशी व्रत प्रेम और सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है।

किसे नहीं देखना चाहिए होलिका दहन

होली का त्योहार जितना रंगों और उमंग से भरा होता है, उतनी ही महत्वपूर्ण इससे जुड़ी धार्मिक परंपराएं भी हैं। होलिका दहन एक पौराणिक परंपरा है, जो बुराई के अंत और अच्छाई की जीत का प्रतीक मानी जाती है।

श्रीदेव्यथर्वशीर्षम् (Sri Devi Atharvashirsha)

देव्यथर्वशीर्षम् जिसे देवी अथर्वशीर्ष के नाम से भी जाना जाता है, चण्डी पाठ से पहले पाठ किए जाने वाले छह महत्वपूर्ण स्तोत्र का हिस्सा है।

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