जो प्रेम गली में आए नहीं (Jo Prem Gali Me Aaye Nahi)

जो प्रेम गली में आए नहीं,

प्रियतम का ठिकाना क्या जाने,

जिसने कभी प्रेम किया ही नहीं,

वो प्रेम निभाना क्या जानें,

जो प्रेम गली में आए नही ॥


जो वेद पढ़े और भेद करे,

मन में नहीं निर्मलता आए,

कोई कितना भी चाहे ज्ञान कहे,

भगवान को पाना क्या जाने,

जो प्रेम गली में आये नहीं,

प्रियतम का ठिकाना क्या जाने,

जो प्रेम गली में आये नहीं ॥


ये दुनिया गोरख धंधा है,

सब जग माया में अँधा है,

जिस अंधे ने प्रभु को देखा नहीं,

वो रूप बताना क्या जाने,

जो प्रेम गली में आये नहीं,

प्रियतम का ठिकाना क्या जाने,

जो प्रेम गली में आये नहीं ॥


जिस दिल में ना पैदा दर्द हुआ,

वो जाने पीर पराई क्या,

मीरा है दीवानी मोहन की,

संसार दीवाना क्या जाने,

जो प्रेम गली में आये नहीं,

प्रियतम का ठिकाना क्या जाने,

जो प्रेम गली में आये नहीं ॥


जो प्रेम गली में आए नहीं,

प्रियतम का ठिकाना क्या जाने,

जिसने कभी प्रेम किया ही नहीं,

वो प्रेम निभाना क्या जानें,

जो प्रेम गली में आए नही ॥

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प्रदोष व्रत के खास उपाय क्या हैं?

प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित एक पवित्र व्रत है, जो हर महीने शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। जो शिव भक्तों के लिए विशेष रूप से फलदायी माना गया है।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र मंत्र (Shiv Panchakshar Stotram )

॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,
तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥१॥ ॥ Shrishivpanchaksharastotram ॥
nagendraharay trilochanay,
bhasmangaragay maheshvaray .
nityay shuddhay digambaray,
tasmai na karay namah shivay .1.

मेरी अखियाँ तरस रही, भोले का दीदार पाने को(Meri Akhiyan Taras Rahi Bhole Ka Didar Pane Ko)

मेरी अखियाँ तरस रही,
भोले का दीदार पाने को,

जनवरी में कब है संकष्टी चतुर्थी

सनातन हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का व्रत अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। बता दें कि साल की पहली संकष्टी चतुर्थी लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जानी जाती है। यह व्रत मुख्य रूप से भगवान गणेश जी और सकट माता की पूजा-अर्चना के लिए प्रसिद्ध है।

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