मन फूला फूला फिरे जगत में(Mann Fula Fula Phire Jagat Mein)

मन फूला फूला फिरे,

जगत में कैसा नाता रे ॥


मन फूला फूला फिरे,

जगत में कैसा नाता रे ॥


माता कहे यह पुत्र हमारा,

बहन कहे बीर मेरा,

भाई कहे यह भुजा हमारी,

नारी कहे नर मेरा,

जगत में कैसा नाता रे ॥


मन फूला फूला फिरे,

जगत में कैसा नाता रे ॥


पेट पकड़ के माता रोवे,

बांह पकड़ के भाई,

लपट झपट के तिरिया रोवे,

हंस अकेला जाए,

जगत में कैसा नाता रे ॥


मन फूला फूला फिरे,

जगत में कैसा नाता रे ॥


जब तक जीवे माता रोवे,

बहन रोवे दस मासा,

तेरह दिन तक तिरिया रोवे,

फेर करे घर वासा,

जगत में कैसा नाता रे ॥


मन फूला फूला फिरे,

जगत में कैसा नाता रे ॥


चार जणा मिल गजी बनाई,

चढ़ा काठ की घोड़ी,

चार कोने आग लगाई,

फूंक दियो जस होरी,

जगत में कैसा नाता रे ॥


मन फूला फूला फिरे,

जगत में कैसा नाता रे ॥


हाड़ जले जस लाकड़ी रे,

केश जले जस घास,

सोना जैसी काया जल गई,

कोइ न आयो पास,

जगत में कैसा नाता रे ॥


मन फूला फूला फिरे,

जगत में कैसा नाता रे ॥


घर की तिरिया ढूंढन लागी,

ढुंडी फिरि चहु देशा,

कहत कबीर सुनो भई साधो,

छोड़ो जगत की आशा,

जगत में कैसा नाता रे ॥


मन फूला फूला फिरे,

जगत में कैसा नाता रे ॥

मन फूला फूला फिरे,

जगत में कैसा नाता रे ॥

........................................................................................................
अंजनी के लाल तुमको, मेरा प्रणाम हो (Anjani Ke Lal Tumko Mera Pranam Ho)

अंजनी के लाल तुमको,
मेरा प्रणाम हो,

होली और रंगों का अनोखा रिश्ता

होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि ये खुशियां, प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और गिले-शिकवे भुलाकर त्योहार मनाते हैं। लेकिन क्या आपने ये कभी सोचा है कि होली पर रंग लगाने की परंपरा कैसे शुरू हुई? इसके पीछे एक पौराणिक कथा छिपी हुई है, जो भगवान श्रीकृष्ण और प्रह्लाद से जुड़ी है।

कुंभ संक्रांति पूजा-विधि और नियम

जिस तरह सूर्यदेव के मकर राशि में प्रवेश से मकर संक्रांति मनाई जाती है। उसी तरह जिस दिन सूर्यदेव कुंभ राशि में प्रवेश कर सकते हैं, वह दिन कुंभ संक्रांति के नाम से जाना जाता है।

प्रदोष व्रत पर इन चीजों का करें दान

विवाह एक पवित्र और 16 महत्वपूर्ण संस्कारों में से एक है, जो दो आत्माओं को जोड़ता है। लेकिन कई बार वैवाहिक जीवन में समस्याएं और बाधाएं आ जाती हैं, जो जीवन को कठिन बना देती हैं। ऐसे में प्रदोष व्रत एक शक्तिशाली तरीका है, जो विवाह की बाधाओं को दूर करने में मदद कर सकता है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने