Mann Mein Basakar Teri Murti (मन में बसाकर तेरी मूर्ति)

मन में बसाकर तेरी मूर्ति,

उतारू में गिरधर तेरी आरती ॥


मन में बसाकर तेरी मूर्ति,

उतारू में गिरधर तेरी आरती ॥


करुणा करो कष्ट हरो ज्ञान दो भगवन,

भव में फसी नाव मेरी तार दो भगवन,

करुणा करो कष्ट हरो ज्ञान दो भगवन,

भव में फसी नाव मेरी तार दो भगवन,

दर्द की दवा तुम्हरे पास है,

जिंदगी दया की है भीख मांगती ।

मन में बसाकर तेरी मूर्ति,

उतारू में गिरधर तेरी आरती ॥


मांगु तुझसे क्या में यही सोचु भगवन,

जिंदगी जब तेरे नाम करदी अर्पण,

मांगु तुझसे क्या में यही सोचु भगवन,

जिंदगी जब तेरे नाम करदी अर्पण,

सब कुछ तेरा कुछ नहीं मेरा,

चिंता है तुझको प्रभु संसार की ।

मन में बसाकर तेरी मूर्ति,

उतारू में गिरधर तेरी आरती ॥


वेद तेरी महिमा गाये संत करे ध्यान,

नारद गुणगान करे छेड़े वीणा तान,

वेद तेरी महिमा गाये संत करे ध्यान,

नारद गुणगान करे छेड़े वीणा तान,

भक्त तेरे द्वार करते है पुकार,

दास अनिरुद्ध तेरी गाये आरती ।

मन में बसाकर तेरी मूर्ति,

उतारू में गिरधर तेरी आरती ॥


मन में बसाकर तेरी मूर्ति,

उतारू में गिरधर तेरी आरती ॥

मन में बसाकर तेरी मूर्ति,

उतारू में गिरधर तेरी आरती ॥


........................................................................................................
पौष माह में करें ये उपाय

हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह साल का दसवां महीना होता है जो मार्गशीर्ष पूर्णिमा के बाद शुरू होता है। वैदिक पंचाग के अनुसार, इस साल पौष माह की शुरुआत 16 दिसंबर से हो चुकी है।

घनश्याम तेरी बंसी, पागल कर जाती है (Ghanshyam Teri Bansi Pagal Kar Jaati Hai)

घनश्याम तेरी बंसी, पागल कर जाती है,

इष्टि पौराणिक कथा और महत्व

इष्टि, वैदिक काल का एक विशेष प्रकार का यज्ञ है। जो इच्छाओं की पूर्ति और जीवन में शांति लाने के उद्देश्य से किया जाता है। संस्कृत में 'इष्टि' का अर्थ 'यज्ञ' होता है। इसे हवन की तरह ही आयोजित किया जाता है।

दर बालाजी के अर्जी लगाले (Dar Balaji Ke Arji Laga Le)

दर बालाजी के अर्जी लगाले,
आज श्रद्धा से तू बाबा को मनाले,

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने