मेरे मन में बसे है राम, मेरे तन में बसे है राम (Mere Maan Mein Base Hai Ram Mere Tan Mein Base Hai Ram)

छाती चिर के हनुमान ने,

बता दिए श्री राम,

मेरे मन में बसे है राम,

मेरे तन में बसे है राम,

मेरे मन मे बसे है राम,

मेरे तन में बसे है राम ॥


जिस वस्तु में राम नहीं,

वह वस्तु ना आए काम,

जिस वस्तु में राम नहीं,

वह वस्तु ना आए काम,

मेरे मन मे बसे है राम,

मेरे तन में बसे है राम ॥


राम काज किए बिना,

मोहे कहाँ विश्राम,

राम काज किए बिना,

मोहे कहाँ विश्राम,

मेरे मन मे बसे है राम,

मेरे तन में बसे है राम ॥


राम नाम सुमिरण से,

समुन्दर पार गए हनुमान,

राम नाम सुमिरण से,

समुन्दर पार गए हनुमान,

मेरे मन मे बसे है राम,

मेरे तन में बसे है राम ॥


छाती चिर के हनुमान ने,

बता दिए श्री राम,

मेरे मन में बसे है राम,

मेरे तन में बसे है राम,

मेरे मन मे बसे है राम,

मेरे तन में बसे है राम ॥

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पौष माह के व्रत त्योहार

पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष के बाद पौष का महीना आता है। ये हिंदू कैलेंडर का 10वां महीना होता है। पौष के महीने में सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है।

मन धीर धरो घबराओ नहीं(Mann Dheer Dharo Ghabrao Nahin)

मन धीर धरो घबराओ नहीं,
श्री राम मिलेंगे कहीं ना कहीं,

कब है रुक्मिणी अष्टमी?

हिंदू धर्म में पौष मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्री कृष्ण की पत्नी देवी रुक्मिणी को समर्पित है, जिन्हें माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, रुक्मिणी अष्टमी पर ही द्वापर युग में विदर्भ के महाराज भीष्मक के यहां देवी रुक्मिणी जन्मी थीं।

हमारे साथ श्री रघुनाथ, तो किस बात की चिंता (Hamare Sath Shri Raghunath Too Kis Baat Ki Chinta)

हमारे साथ श्री रघुनाथ तो
किस बात की चिंता ।

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