मोहे होरी में कर गयो तंग ये रसिया माने ना मेरी(Mohe Hori Mein Kar Giyo Tang Ye Rashiyan Mane Na Meri)

मोहे होरी में कर गयो तंग ये रसिया माने ना मेरी,

माने ना मेरी माने ना मेरी,

मोहे होली में कर गयो तंग ॥


ग्वाल बालन संग घेर लई मोहे इकली जान के,

भर भर मारे रंग पिचकारी मेरे सन्मुख तान के,

या ने ऐसो,

या ने ऐसो या ने ऐसो मचायो हुरदंग,

ये रसिया माने ना मेरी ॥


जित जाऊँ मेरे पीछे डोले जान जान के अटके,

ना माने होरी में कहूं की ये तो गलिन गलिन में मटके,

ना ऐ होरी,

ना ऐ होरी ना ऐ होरी खेलन को ढंग,

ये रसिया माने ना मेरी ॥


रंग बिरंगे चित्र विचित्र बनाए दिए होरी में,

पिचकारी में रंग रीत गयो भर ले कमोरी ते,

पागल ने,

पागल ने पागल ने छनाए दई भंग,

ये रसिया माने ना मेरी ॥

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चटक रंग में (Chatak Rang Me)

चटक रंग में, मटक रंग में,
धनीलाल रंग में, गोपाल रंग में ।

सरस्वती अमृतवाणी (Saraswati Amritwani)

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सरस्वती कला निधान,

हम लाड़ले खाटू वाले के हमें बाबा लाड़ लड़ाता है (Hum Ladale Khatu Wale Ke Hame Baba Laad Ladata Hai)

हम लाड़ले खाटू वाले के,
हमें बाबा लाड़ लड़ाता है,

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