ओ माँ पहाड़ावालिये, सुन ले मेरा तराना (O Maa Pahadan Waliye Sun Le Mera Tarana)

ओ माँ पहाड़ावालिये,

सुन ले मेरा तराना ॥


दोहा – मेरा नहीं है कुछ भी,

सब कुछ तेरा किया है,

किरपा हुई है ऐसी,

बिन मांगे सब दिया है।

जैसा तू चाहे मैया,

वैसा मैं चलता जाऊं,

जिसमे हो तेरी महिमा,

ऐसे ही गीत गाऊं ॥


ओ माँ पहाड़ावालिये,

सुन ले मेरा तराना,

सुन ले मेरा तराना,

सुन ले मेरा तराना,

ओ मां पहाड़ावालिये,

सुन ले मेरा तराना ॥


अपने हुए पराए,

दुश्मन हुआ जमाना,

अपने हुए पराए,

दुश्मन हुआ जमाना,

कष्टों से मेरी मैया,

तू ही मुझे बचाना,

ओ मां पहाड़ावालिये,

सुन ले मेरा तराना ॥


फूलों में तुझको ढूंढा,

कलियों में तुझको ढूंढा,

फूलों में तुझको ढूंढा,

कलियों में तुझको ढूंढा,

तू कहीं नजर ना आई,

ओ मां पहाड़ावालिये,

ओ मां पहाड़ावालिये,

सुन ले मेरा तराना ॥


“ओ मेरी शेरावाली मैया,

मेरी जोतावाली मैया,

मेरे साथ है, सर पे हाथ है,

मेरी दुर्गे मैया काली,

मेरी मेहरावाली मैया,

मेरे साथ है, सर पे हाथ है” ॥


सबकी सुने तू मैया,

राजा हो या फकीरा,

सबकी सुने तू मैया,

राजा हो या फकीरा,

‘बाबा’ की ये तमन्ना,

मेरा भी सुन तराना,

ओ मां पहाड़ावालिये,

सुन ले मेरा तराना ॥


ओ माँ पहाड़ावालियें,

सुन ले मेरा तराना,

सुन ले मेरा तराना,

सुन ले मेरा तराना,

ओ मां पहाड़ावालिये,

सुन ले मेरा तराना ॥

........................................................................................................
ओ सांवरे दाता मेरे, तेरा शुक्रिया है (O Sanware Data Mere Tera Shukriya Hai)

मुझे जो भी कुछ मिला है,
तुमने ही सब दिया है,

ब्रह्मा जी की पूजा विधि

ब्रह्मा जी, जिन्हें सृष्टि के रचयिता के रूप में जाना जाता है, के कई मंदिर होने के बावजूद उनका सबसे प्रसिद्ध मंदिर राजस्थान के पुष्कर में स्थित है।

12 ज्योतिर्लिंगों का महत्व जानिए

शिव पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, एक समय भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के बीच यह विवाद छिड़ गया कि उनमें से श्रेष्ठ कौन है। इस विवाद को शांत करने के लिए भगवान शिव ने एक अनंत प्रकाश स्तंभ ज्योति का रूप धारण किया।

फुलेरा दूज 2025 शुभ मुहूर्त

फुलेरा दूज भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के प्रेम का प्रतीक का त्योहार है। यह त्योहार हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। वहीं यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का संकेत भी होता है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने