राधा कौन से पुण्य किये तूने(Radha Kon Se Punya Kiye Tune)

राधा कौन से पुण्य किये तूने,

जो हरि रोज तेरे घर आते हैं ॥


राधा जब सोलह शृंगार करे,

प्रभ दर्पण आप दिखाते है,

राधा कौन से पुण्य किये तूने,

जो हरि रोज तेरे घर आते हैं ॥


राधा जब पनघट पे जावे,

प्रभु मटकी आप उठाते है,

राधा कौन से पुण्य किये तूने,

जो हरि रोज तेरे घर आते हैं ॥


राधा जब भोग तैय्यार करे,

हरी आकर भोग लगाते है,

राधा कौन से पुण्य किये तूने,

जो हरि रोज तेरे घर आते हैं ॥


राधा जब कुँजन मे जावे,

प्रभु आकर रास रचाते है,

राधा कौन से पुण्य किये तूने,

जो हरि रोज तेरे घर आते हैं ॥


राधा कौन से पुण्य किये तूने,

जो हरि रोज तेरे घर आते हैं ॥

........................................................................................................
मेरे कंठ बसो महारानी (Mere Kanth Baso Maharani)

मेरे कंठ बसो महारानी,
ना मैं जानू पूजा तेरी,

ओ सांवरे दाता मेरे, तेरा शुक्रिया है (O Sanware Data Mere Tera Shukriya Hai)

मुझे जो भी कुछ मिला है,
तुमने ही सब दिया है,

चलो दर्शन को मेहंदीपुर चलिए (Chalo Darshan Ko Mehandipur Chaliye)

चलो दर्शन को मेहंदीपुर चलिए,
जहाँ बालाजी का दरबार है,

वनदेवी की पूजा किस विधि से करें?

हिंदू धर्म में वनदेवी को जंगलों, वनस्पतियों, और वन्य जीवों की अधिष्ठात्री माना जाता है। वे प्रकृति के संरक्षण और संवर्धन का प्रतीक हैं। इतना ही नहीं, कई आदिवासी समुदायों में वनदेवी को आराध्य देवी के रूप में पूजा जाता है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने