साँवरे सा कौन(Sanware Sa Kaun)

साँवरे सा कौन,

सांवरे सा कौन,

कोई मुझको बताओ तो सही,

क्यूँ हो सारे मौन,

सांवरे सा कौन ॥


कोई नहीं है मेरे,

साँवरे सा दानी,

कथा शीश दान वाली,

दुनियाँ ने मानी,

जय जयकार बुलाओ तो सही,

सांवरे सा कौन ॥


मेरा श्याम बाबा करता,

नीले की सवारी,

खाटू नगरिया लागे,

भगतों को प्यारी,

दर्शन करने को जाओ तो सही,

सांवरे सा कौन ॥


साथी बनालो अपना,

काली कमली वाला,

यही है वो खोलता जो,

किस्मत का ताला,

‘श्याम’ हाले दिल सुनाओ तो सही,

सांवरे सा कौन ॥


साँवरे सा कौन,

सांवरे सा कौन,

कोई मुझको बताओ तो सही,

क्यूँ हो सारे मौन,

सांवरे सा कौन ॥

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नाचे नन्दलाल, नचावे हरि की मईआ(Nache Nandlal Nachave Hari Ki Maiya)

नाचे नन्दलाल,
नचावे हरि की मईआ ॥

आमलकी एकादशी पौराणिक कथा

फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी के अलावा आंवला एकादशी के नाम से जाना जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन आंवले पेड़ की उत्तपति हुई थी।

रामदूत महावीर हनुमान, स्वीकारो (Ramdoot Mahavir Hanuman Sweekaro)

प्रनवउँ पवनकुमार,
खल बन पावक ग्यान घन,

नवरात्री वृत कथा (Navratri Vrat Katha)

माँ दुर्गाकी नव शक्तियोंका दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणीका है। यहाँ श्ब्राश् शब्दका अर्थ तपस्या है। ब्रह्मचारिणी अर्थात् तपकी चारिणी-तपका आचरण करनेवाली। कहा भी है वेदस्तत्वं तपो ब्रह्म-वेद, तत्त्व और तप श्ब्राश् शब्दक अर्थ हैं।

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