श्यामा श्याम सलौनी सूरत - भजन (Shyama Shyam Saloni Surat)

श्यामा श्याम सलौनी

सूरत को शृंगार बसंती है ।

किशोरी श्याम सलोनी सूरत

को सिंगार बसंती है ।


मोर मुकुट की लटक बसंती

चंद्रकला की चटक बसंती,

मुख मुरली की मटक बसंती,

सिर पै पैंच श्रवण-कुंडल छविदार बसंती है ।


श्यामा श्याम सलौनी

सूरत को शृंगार बसंती है ।

किशोरी श्याम सलोनी सूरत,

को सिंगार बसंती है ।


माथे चन्दन लसियो बसंती,

पट पीताम्बर कसियो बसंती,

पहना बाजूबंद बसंती,

गुंजमाल गल सोहै फूलनहार बसंती है ।


श्यामा श्याम सलौनी

सूरत को शृंगार बसंती है ।

किशोरी श्याम सलोनी सूरत,

को सिंगार बसंती है ।


कनक कडूला हस्त बसंती,

चले चाल अलमस्त बसंती,

रुनक-झुनक पग नूपुर की झनकार बसंती है ।


श्यामा श्याम सलौनी

सूरत को शृंगार बसंती है ।

किशोरी श्याम सलोनी सूरत,

को सिंगार बसंती है ।


संग ग्वाल को गोलन बसंती,

बोल रहे हैं बोल बसंती,

सब सखियन में राधे जी सरदार बसंती हैं ।


श्यामा श्याम सलौनी

सूरत को शृंगार बसंती है ।

किशोरी श्याम सलोनी सूरत,

को सिंगार बसंती है ।

........................................................................................................
काशी के कोतवाल काल भैरव

काशी के राजा भगवान विश्वनाथ और कोतवाल भगवान काल भैरव की जोड़ी हिंदू पौराणिक कथाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

आंवला नवमी व्रत कथा (Amla Navami Vrat Katha)

आंवला नवमी व्रत आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रखा जाता है। आंवला नवमी के दिन ही भगवान विष्णु ने कुष्माण्डक नामक दैत्य को मारा था और साथ ही आंवला नवमी पर ही भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध करने से पहले तीन वनों की परिक्रमा भी की थी।

सूर्य स्तोत्र

विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः।
लोक प्रकाशकः श्री मांल्लोक चक्षुर्मुहेश्वरः ॥ लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा।

पौष माह में क्या करें और क्या नहीं

हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह साल का 10 वां, महीना होता है जो मार्गशीर्ष पूर्णिमा के बाद शुरू होता है। वैदिक पंचाग के अनुसार इस साल पौष माह 16 दिसंबर से प्रारंभ हो चुकी है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने