तेरी प्रीत में मोहन मन बावरा है(Teri Preet Me Mohanan Man Bawra Hai)

तेरी प्रीत में मोहन,

मन बावरा है,

लागि लगन तू ही,

मेरा सांवरा है,

मेरा सांवरा है,

हमें तो कन्हैया,

तेरा आसरा है,

लागि लगन तू ही,

मेरा सांवरा है,

मेरा सांवरा है ॥


जीवन की ये कैसी छाया,

जीवन की ये कैसी छाया,

जीवन की ये कैसी छाया,

चहुँ और फैली फरेब की माया,

इक तेरा दर ही तो सबसे निराला,

कण कण यहाँ सच्चा प्यार भरा है,

प्यार भरा है,

तेरी प्रीत में मोंहन,

मन बावरा है,

लागि लगन तू ही,

मेरा सांवरा है,

मेरा सांवरा है ॥


जलती गई जब ज्ञान की ज्योति,

जलती गई जब ज्ञान की ज्योति,

मिलते गए तेरी प्रीत के मोती,

और रतन जहाँ के क्या मांगू भगवन,

प्रेम के अमृत से अंतर भरा है,

अंतर भरा है,

तेरी प्रीत में मोंहन,

मन बावरा है,

लागि लगन तू ही,

मेरा सांवरा है,

मेरा सांवरा है ॥


अब तो कन्हैया सबको बता दे,

अब तो कन्हैया सबको बता दे,

प्रीत की गंगा ऐसी बहा दे,

‘अंकुश’ कहे जमाना सच्ची मेरी भक्ति,

सच्ची है प्रीत सच्चा ये सांवरा है,

ये सांवरा है,

तेरी प्रीत में मोंहन,

मन बावरा है,

लागि लगन तू ही,

मेरा सांवरा है,

मेरा सांवरा है ॥


तेरी प्रीत में मोहन,

मन बावरा है,

लागि लगन तू ही,

मेरा सांवरा है,

मेरा सांवरा है,

हमें तो कन्हैया,

तेरा आसरा है,

लागि लगन तू ही,

मेरा सांवरा है,

मेरा सांवरा है ॥

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भक्त तेरे बुलाये हनुमान रे (Bhakt Tere Bulaye Hanuman Re)

भक्त तेरे बुलाये हनुमान रे,
तुझे आज रे,

कबहुँ ना छूटी छठि मइया (Kabahun Na Chhooti Chhath)

कबहुँ ना छूटी छठि मइया,
हमनी से बरत तोहार

वार्षिक श्राद्ध पूजा विधि

हिंदू धर्म में श्राद्ध पूजा का विशेष महत्व है। यह पितरों यानी पूर्वजों के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने का एक प्रमुख अनुष्ठान है। जो सदियों से हिंदू संस्कृति में करा जाता है। श्राद्ध संस्कार में पिंडदान, और ब्राह्मण भोजन कराया जाता है।

गंधर्व पूजा कैसे करें

चित्ररथ को एक महान गंधर्व और देवताओं के प्रिय संगीतज्ञ के रूप में माना जाता है। वह स्वर्गलोक में देवताओं के महल में निवास करते थे। उनका संगीत और गायन दिव्य था। ऐसा कहा जाता है कि कहा जाता है कि चित्ररथ के संगीत और गान में इतनी शक्ति थी कि वे अपने गाने से भगवान शिव और अन्य देवताओं को प्रसन्न कर सकते थे।

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