वृंदावनी वेणू (Vrindavani Venu)

वृंदावनी वेणु कवणाचा माये वाजे ।

वेणुनादें गोवर्धनु गाजे ॥


पुच्छ पसरूनि मयूर विराजे ।

मज पाहता भासती यादवराजे ॥


तृणचारा चरूं विसरली ।

गाई-व्याघ्र एके ठायीं जाली ।

पक्षीकुळें निवांत राहिलीं ।

वैरभाव समूळ विसरली ॥


वृंदावनी वेणु कवणाचा माये वाजे ।

वेणुनादें गोवर्धनु गाजे ॥


ध्वनी मंजुळ मंजुळ उमटती ।

वांकी रुणझुण रुणझुण वाजती ।

देव विमानीं बैसोनि स्तुती गाती ।

भानुदासा फावली प्रेम-भक्ति ॥


वृंदावनी वेणु कवणाचा माये वाजे ।

वेणुनादें गोवर्धनु गाजे ॥

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ये मैया मेरी है, सबसे बोल देंगे हम (Ye Maiya Meri Hai Sabse Bol Denge Hum)

ये मैया मेरी है,
सबसे बोल देंगे हम,

भोले की किरपा से हमरे, ठाठ निराले है (Bhole Ki Kripa Se Hamare Thaat Nirale Hai)

भोले की किरपा से हमरे,
ठाठ निराले है,

अन्नपूर्णा जयंती पर क्या दान करें

सनातन धर्म में अन्नपूर्णा जयंती का दिन मां अन्नपूर्णा को समर्पित किया है। अन्नपूर्णा जयंती के दिन दान का भी बहुत महत्व होता है। इस दिन दान करना बेहद ही शुभ माना गया है। इस दिन दान पुण्य करने की मान्यता है।

धनतेरस व्रत कथा: माता लक्ष्मी और किसान की कहानी (Mata Laxmi aur kisan ki kahani: Dhanteras ki vrat Katha)

एक बार भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता पृथ्वी लोक पर घूम रहे थे। विष्णु जी किसी काम से दक्षिण दिशा की ओर चले गए और लक्ष्मी माता को वहीं पर रूकने के लिए कहा।

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