ही आशा लेकर आती हूँ ( Yahi Aasha Lekar Aati Hu)

यही आशा लेकर आती हूँ,

हर बार तुम्हारे मंदिर में,

कभी नेह की होगी मुझपर भी,

बौछार तुम्हारे मंदिर में,

बौछार तुम्हारे मंदिर में ।


हे राधेश्वर गोपीवल्लभ तुम,

त्रिभुवन के आकर्षण हो,

पट तो हर दिन खुलते लेकिन,

जब भाग्य खुले तब दर्शन हो ।


होता है तुम्हारा नित नूतन,

शृंगार तुम्हारे मंदिर में,

कभी नेह की होगी मुझ पर भी,

बौछार तुम्हारे मंदिर में,

बौछार तुम्हारे मंदिर में ।


हे मुरलीधर कृष्ण-कन्हाई,

राधा रास बिहारी,

दर्शन भिक्षा मांग रहे है,

नैना दर्श भिखारी


राधा भी नहीं, मीरा भी नहीं,

मैं ललिता हूँ न विशाखा हूँ,

हे बृजराज तुम्हारे बृजत्रु की,

मैं कोमल सी इक शाखा हूँ,

इतना ही मिला आने का,

अधिकार तुम्हारे मंदिर में,

कभी नेह की होगी मुझ पर भी,

बौछार तुम्हारे मंदिर में,

बौछार तुम्हारे मंदिर में ।


राधा प्रियम, सरस सुन्दर, प्रेम धामम,

गोपी प्रियम, मदन जीत, नैनाभी रामम ।


योगी प्रियम, तव नवोदित, बाल चन्द्रम,

सर्वा प्रियम, सकल मंगल, मूल शामम ।

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जय भोले शंकर जय गंगाधारी (Jai Bhole Shankar Jai Gangadhari)

जय भोले शंकर जय गंगाधारी,
देवो के देवा हे महादेवा,

दरश एक बार दिखाना रे, शिव शंकर डमरू वाले(Darsh Ek Bar Dikhana Re Shiv Shankar Damru Wale)

दरस एक बार दिखाना रे,
शिव शंकर डमरू वाले ॥

सर्पों की देवी मनसा की पूजा कैसे करें?

पश्चिम बंगाल की सीमा से सटे झारखंड के कसमार प्रखंड सहित आसपास के गांवों में सर्पों की देवी मां मनसा की पूजा बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। हर साल गांवों में जगह-जगह मां मनसा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाती है।

उत्पन्ना एकादशी के उपाय

उत्पन्ना एकादशी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और घर-परिवार में खुशहाली बनी रहती है।

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