यही है प्रार्थना प्रभुवर (Yahi Hai Rrarthana Prabhuvar Jeevan Ye Nirala Ho)

सरलता, शीलता, शुचिता हों भूषण मेरे जीवन के।

सचाई, सादगी, श्रद्धा को मन साँचे में ढाला हो॥

॥ यही है प्रार्थना प्रभुवर...॥


मेरा वेदोक्त हो जीवन, बनूँ मैं धर्म-अनुरागी।

रहूँ आज्ञा में वेदों की, न हुक्मेवेद टाला हो॥

॥ यही है प्रार्थना प्रभुवर...॥


तेरी भक्ति में हे भगवन्, लगा दूँ अपना मैं तन-मन।

दिखावे के लिये हाथों में थैली हो, न माला हो॥

॥ यही है प्रार्थना प्रभुवर...॥


तजूँ सब खोटे कर्मों को, तजूँ दुर्वासनाओं को।

तेरे विज्ञान दीपक का मेरे मन में उजाला हो॥

॥ यही है प्रार्थना प्रभुवर...॥


पिला दे मोक्ष की घुट्टी, मरण-जीवन से हो छुट्टी।

विनय अन्तिम ये सेवक की अगर मंजूरे वाला हो॥


यही है प्रार्थना प्रभुवर! जीवन ये निराला हो।

परोपकारी, सदाचारी व लम्बी आयुवालो हो॥

........................................................................................................
आजा कलयुग में लेके अवतार ओ गोविन्द (Aaja Kalyug Me Leke Avtar O Govind)

आजा कलयुग में लेके अवतार ओ गोविन्द
आजा कलयुग में लेके अवतार ओ गोविन्द

प्रभु के चरणों से सच्चा प्यार: भजन (Parbhu Ke Charno Se Sachha Pyar)

प्रभु के चरणों से गर सच्चा प्यार किसी को हो जाये,
दो चार सहर की बात ही क्या संसार उसी का हो जाये ॥

सन्तोषी माता/शुक्रवार की ब्रत कथा (Santhoshi Mata / Sukravaar Ki Vrat Katha

एक नगरमें एक बुढ़ियाके सात पुत्र थे, सातौके विवाह होगए, सुन्दर स्त्री घर में सम्पन्न थीं। बड़े बः पुत्र धंधा करते थे बोटा निठल्ला कुछ नहीं करता था और इस ध्यान में मग्न रहता था कि में बिना किए का खाता हूं।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने