आई बागों में बहार, झूला झूले राधा प्यारी (Aai Bhagon Me Bahar Jhula Jhule Radha Rani)

आई बागों में बहार,

झूला झूले राधा प्यारी ।

झूले राधा प्यारी,

हाँ झूले राधा प्यारी ॥


आई बागों में बहार,

झूला झूले राधा प्यारी ।

झूले राधा प्यारी,

हाँ झूले राधा प्यारी ॥


सावन की ऋतु है आई,

घनघोर घटा नभ छाई ।

ठंडी-ठंडी पड़े फुहार,

झूला झूले राधा प्यारी ॥


आई बागों में बहार,

झूला झूले राधा प्यारी ।

झूले राधा प्यारी,

हाँ झूले राधा प्यारी ॥


राधा संग में बनवारी,

झूलें हैं सखियाँ सारी ।

गावेँ गीत मल्हार,

झूला झूले राधा प्यारी ॥


आई बागों में बहार,

झूला झूले राधा प्यारी ।

झूले राधा प्यारी,

हाँ झूले राधा प्यारी ॥


हो मस्त मोर यूँ नाचे,

मोहन की मुरलिया बाजे ।

कू-कू कोयल करे पुकार,

झूला झूले राधा प्यारी ॥


आई बागों में बहार,

झूला झूले राधा प्यारी ।

झूले राधा प्यारी,

हाँ झूले राधा प्यारी ॥


भए ऐसे मगन कन्हाई,

चलती ठंडी पुरवाई ।

छम-छम बरसे मूसलधार,

झूला झूले राधा प्यारी ॥


आई बागों में बहार,

झूला झूले राधा प्यारी ।

झूले राधा प्यारी,

हाँ झूले राधा प्यारी ॥


सब सज रहीं नार नबेली,

नटखट करते अठखेली ।

कर के सोलह सिंगार,

झूला झूले राधा प्यारी ॥


आई बागों में बहार,

झूला झूले राधा प्यारी ।

झूले राधा प्यारी,

हाँ झूले राधा प्यारी ॥


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मैं काशी हूँ (Main Kashi Hoon)

मेरे तट पर जागे कबीर,
मैं घाट भदैनी तुलसी की,

ये चमक ये दमक (Ye Chamak Ye Damak)

ये चमक ये दमक,
फूलवन मा महक,

नमस्कार भगवन तुम्हें भक्तों का बारम्बार हो(Namaskar Bhagwan Tumhe Bhakton Ka Barambar Ho)

नमस्कार भगवन तुम्हें,
भक्तों का बारम्बार हो,

रंग पंचमी की कथा

रंग पंचमी हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है और यह पर्व चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन देवी-देवता धरती पर आकर भक्तों के साथ होली खेलते हैं और उनकी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।

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