बता मेरे यार सुदामा रै (Bata Mere Yaar Sudama Re)

बता मेरे यार सुदामा रै,

भाई घणे दिना में आया ।

बता मेरे यार सुदामा रै,

भाई घणे दिना में आया ।


बालक थारे जब आया करता,

रोज खेलके जाया करता ।

हुई कै तकरार सुदामा रै,

भाई घणे दिना में आया ।


बता मेरे यार सुदामा रै,

भाई घणे दिना में आया ।


मन्ने सुना दे कुटुंब कहानी,

क्यों कर पड़ गयी ठोकर खानी ।

रे मन्ने सुना दे कुटुंब कहानी,

क्यों कर पड़ गयी ठोकर खानी ।

टोटे की मार सुदामा रै,

भाई घणे दिना में आया ।


बता मेरे यार सुदामा रै,

भाई घणे दिना में आया ।


सब बच्चों का हाल सुना दे,

मिश्रानी की बात बता दे ।

रे सब बच्चो का हाल सुना दे,

मिश्रानी की बात बता दे ।

रे क्यों गया हार सुदामा रै,

भाई घणे दिना में आया ।


बता मेरे यार सुदामा रै,

भाई घणे दिना में आया ।


चाहिए था रे तन्ने पहल में आना,

इतना दुःख नहीं पड़ता ठाणा ।

रे चाहिए था रे तन्ने पहल में आना,

इतना दुःख नहीं पड़ता ठाणा ।

क्यों भुल्ला प्यार सुदामा रै,

भाई घणे दिना में आया ।


बता मेरे यार सुदामा रै,

भाई घणे दिना में आया ।


इब भी आगया ठीक वक़्त पे,

आज बैठ जा मेरे तखत पै ।

रे इब भी आगया ठीक वक़्त पे,

आज बैठ जा मेरे तखत पै ।

जिगरी यार सुदामा रै,

भाई घणे दिना में आया ।


बता मेरे यार सुदामा रै,

भाई घणे दिना में आया ।


आजा भगत छाती पे लाल्यूँ,

इब बता तन्ने कन्ने बिठा लूँ ।

रे आजा भगत छाती पे लाल्यूँ,

इब बता तन्ने कन्ने बिठा लूँ ।

करूँ साहूकार सुदामा रै,

भाई घणे दिना में आया ।


बता मेरे यार सुदामा रै,

भाई घणे दिना में आया ।

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गुरु प्रदोष व्रत: शिव मृत्युञ्जय स्तोत्र का पाठ

प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को किया जाता है, जो भगवान शिव को समर्पित तिथि है। इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। मार्गशीर्ष मास में कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत का वर्णन और महत्व धार्मिक ग्रंथों और पंचांग में बताया गया है।

पापमोचनी एकादशी विष्णु पूजा विधि

पापमोचनी एकादशी व्रत पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, और इसे पापों से मुक्ति दिलाने वाला व्रत माना गया है। पापमोचनी एकादशी व्रत का वर्णन स्कंद पुराण में किया गया है, जहां इस बात की चर्चा की गई है, की इस व्रत का पालन करने से मनुष्य अपने पिछले जन्मों के दोषों से भी मुक्त हो सकता है।

रविवार को किन मंत्रों का जाप करें?

हिंदू धर्म में भगवान सूर्य को धरती के प्रत्यक्ष देवता माना जाता है। वे नवग्रहों के अधिपति, सौरमंडल के स्वामी और सभी राशियों के शासक हैं। सूर्य देव ऊर्जा, शक्ति और सकारात्मकता के प्रतीक हैं।

भोले बाबा ने यूँ ही बजाया डमरू (Bhole Baba Ne Yuhi Bajaya Damru)

भोले बाबा ने यूँ ही बजाया डमरू,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया ॥

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