भजहु रे मन श्री नंद नंदन (Bhajahu Re Mann Shri Nanda Nandan)

भजहु रे मन श्री नंद नंदन

अभय-चरणार्विन्द रे

दुर्लभ मानव-जन्म सत-संगे

तारो ए भव-सिंधु रे


भजहु रे मन श्री नंद नंदन

अभय-चरणार्विन्द रे


शीत तप बात बरिशन

ए दिन जामिन जगी रे

बिफले सेविनु कृपन दुरजन

चपल सुख लभ लागी रे


भजहु रे मन श्री नंद नंदन

अभय-चरणार्विन्द रे


ए धन यौवन पुत्र परिजन

इथे की आचे पारतित रे

कमल-दल-जल, जीवन तलमल

भजू हरि-पद नीत रे


भजहु रे मन श्री नंद नंदन

अभय-चरणार्विन्द रे


श्रवण कीर्तन स्मरण वंदन

पद सेवन दास्य रे

पूजन, सखी-जन, आत्म-निवेदन

गोविंद-दास-अभिलाषा रे


भजहु रे मन श्री नंद नंदन

अभय-चरणार्विन्द रे

दुर्लभ मानव-जन्म सत-संगे

तारो ए भव-सिंधु रे


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कालाष्टमी पूजा विधि

सनातन हिन्दू धर्म में कालाष्टमी का काफी महत्व होता है। कालाष्टमी भगवान काल भैरव को समर्पित होता है। इस दिन काल भैरव के पूजन से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। ये पर्व हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।

सीता के राम थे रखवाले, जब हरण हुआ तब कोई नहीं: भजन (Sita Ke Ram The Rakhwale Jab Haran Hua Tab Koi Nahi)

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रक्षाबंधन क्यों मनाते हैं

रक्षाबंधन भाई-बहन के अटूट प्रेम और स्नेह का प्रतीक है। यह पर्व प्रतिवर्ष सावन माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन बहनें पूजा करके अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी सफलता एवं दीर्घायु की कामना करती हैं।

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