बिनती सुनिए नाथ हमारी - भजन (Bhajan: Binati Suniye Nath Hamari)

गोपाल गोकुल वल्लभी,

प्रिय गोप गोसुत वल्लभम,

चरणारविन्द महम भजे,

भजनीय सुर मुनि दुर्लभम् ।

चरणारविन्द महम भजे,

भजनीय सुर मुनि दुर्लभम् ॥


बिनती सुनिए नाथ हमारी,

बिनती सुनिए नाथ हमारी,

हृदयष्वर हरी हृदय बिहारी,

हृदयष्वर हरी हृदय बिहारी,

मोर मुकुट पीतांबर धारी,

बिनती सुनिए नाथ हमारी ॥


जनम जनम की लगी लगन है,

साक्षी तारो भरा गगन है,

गिन गिन स्वाश आस कहती है,

आएँगे श्री कृष्ण मुरारी,

॥ बिनती सुनिए नाथ हमारी...॥


सतत प्रतीक्षा अपलक लोचन,

हे भव बाधा बिपति बिमोचन,

स्वागत का अधिकार दीजिए,

शरणागत है नयन पुजारी,

॥ बिनती सुनिए नाथ हमारी...॥


और कहूं क्या अंतर्यामी,

तन मन धन प्राणो के स्वामी,

करुणाकर आकर के कहिए,

स्वीकारी विनती स्वीकारी,

॥ बिनती सुनिए नाथ हमारी...॥


बिनती सुनिए नाथ हमारी,

बिनती सुनिए नाथ हमारी,

हृदयष्वर हरी हृदय बिहारी,

हृदयष्वर हरी हृदय बिहारी,

मोर मुकुट पीतांबर धारी,

बिनती सुनिए नाथ हमारी ॥

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बांके बिहारी मुझको देना सहारा (Banke Bihari Mujhko Dena Sahara)

बांके बिहारी मुझे देना सहारा,
कहीं छूट जाए ना दामन तुम्हारा॥

माँ हो तो ऐसी हो ऐसी हो(Maa Ho To Aisi Ho Aisi Ho)

हाँ माँ हो तो ऐसी हो ऐसी हो
ऐसी हो काली मैय्यां तेरे जैसी हो

अनंग त्रयोदशी व्रत कथा

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को अनंग त्रयोदशी कहा जाता है। अनंग त्रयोदशी व्रत प्रेम और सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है।

ढँक लै यशोदा नजर लग जाएगी (Dhank Lai Yashoda Najar Lag Jayegi)

ढँक लै यशोदा नजर लग जाएगी
कान्हा को तेरे नजर लग जाएगी ।

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