बिनती सुनिए नाथ हमारी - भजन (Bhajan: Binati Suniye Nath Hamari)

गोपाल गोकुल वल्लभी,

प्रिय गोप गोसुत वल्लभम,

चरणारविन्द महम भजे,

भजनीय सुर मुनि दुर्लभम् ।

चरणारविन्द महम भजे,

भजनीय सुर मुनि दुर्लभम् ॥


बिनती सुनिए नाथ हमारी,

बिनती सुनिए नाथ हमारी,

हृदयष्वर हरी हृदय बिहारी,

हृदयष्वर हरी हृदय बिहारी,

मोर मुकुट पीतांबर धारी,

बिनती सुनिए नाथ हमारी ॥


जनम जनम की लगी लगन है,

साक्षी तारो भरा गगन है,

गिन गिन स्वाश आस कहती है,

आएँगे श्री कृष्ण मुरारी,

॥ बिनती सुनिए नाथ हमारी...॥


सतत प्रतीक्षा अपलक लोचन,

हे भव बाधा बिपति बिमोचन,

स्वागत का अधिकार दीजिए,

शरणागत है नयन पुजारी,

॥ बिनती सुनिए नाथ हमारी...॥


और कहूं क्या अंतर्यामी,

तन मन धन प्राणो के स्वामी,

करुणाकर आकर के कहिए,

स्वीकारी विनती स्वीकारी,

॥ बिनती सुनिए नाथ हमारी...॥


बिनती सुनिए नाथ हमारी,

बिनती सुनिए नाथ हमारी,

हृदयष्वर हरी हृदय बिहारी,

हृदयष्वर हरी हृदय बिहारी,

मोर मुकुट पीतांबर धारी,

बिनती सुनिए नाथ हमारी ॥

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फाल्गुन मास की पौराणिक कथा

फाल्गुन’ का महीना हिंदू पंचांग का अंतिम महीना होता है। इस मास की पूर्णिमा फाल्गुनी नक्षत्र में होती है। जिस कारण इस महीने का नाम फाल्गुन पड़ा है। इस महीने को आनंद और उल्लास का महीना भी कहा जाता है।

भोले ने जिसे चाहा, मस्ताना बना डाला (Bhole Ne Jise Chaha Mastana Bana Dala)

भोले ने जिसे चाहा,
मस्ताना बना डाला ॥

माँगा है मैने मैया से, वरदान एक ही(Manga Hai Maine Maiya Se Vardaan Ek Hi)

माँगा है मैने मैया से,
वरदान एक ही,

करता है तू बेड़ा पार (Karta Hai Tu Beda Paar)

कोई जब राह ना पाए,
शरण तेरी आए,

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