हर सांस मे हो सुमिरन तेरा (Har Saans Me Ho Sumiran Tera)

हर सांस मे हो सुमिरन तेरा,

यु बित जाये जीवन मेरा,

तेरि पुजा करते बिते सांझ सवेरा,

यु बित जाये जीवन मेरा ॥


नैनो कि खिड़की से तुमको,

पल पल में निहारु,

मन मे बिठा लु तेरि आरती उतारु,

डाले रहु तेरे चरणों मे डेरा,

यु बित जाये जीवन मेरा ॥


जो भी तेरा प्यारा हो वो,

मेरे दिल का प्यारा हो,

मेरे सर का ताज मेरी आखो का तारा हो,

सब मे निहारु रूप सुनहरा,

यु बित जाये जीवन मेरा ॥


प्यार हो सत्कर हो एतबार हो तुम्हारा,

सुख भी हो सारे ओर याद हो इशारा,

हो आत्मा पे तेरा हि डेरा,

यु बित जाये जीवन मेरा ॥


हर सांस मे हो सुमिरन तेरा,

यु बित जाये जीवन मेरा,

तेरि पुजा करते बिते सांझ सवेरा,

यु बित जाये जीवन मेरा ॥


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कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि

सनातन धर्म में भाद्रपद माह को सभी माह में विशेष माना जाता है। इस माह को भगवान कृष्ण के जन्म से जोड़ा गया है। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कन्हैया का जन्मोत्सव मनाया जाता है।

राम धुन लागि (Ram Dhun Lagi)

राम धुन लागि श्री राम धुन लागि,
मन हमारा हुआ,

कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे (Kabhi Fursat Ho To Jagdambe)

कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे,
निर्धन के घर भी आ जाना ।

कब है रुक्मिणी अष्टमी?

हिंदू धर्म में पौष मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्री कृष्ण की पत्नी देवी रुक्मिणी को समर्पित है, जिन्हें माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, रुक्मिणी अष्टमी पर ही द्वापर युग में विदर्भ के महाराज भीष्मक के यहां देवी रुक्मिणी जन्मी थीं।

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