जिनके हृदय हरि नाम बसे (Jinke Hriday Hari Naam Base)

जिनके हृदय हरि नाम बसे,

तिन और का नाम लिया ना लिया ।

जिनके हृदय हरि नाम बसे,

जिन के द्वारे पर गंग बहे,

जिन के द्वारे पर गंग बहे,

तिन कूप का नीर पीया ना पीया,

तिन कूप का नीर पीया ना पीया ।


जिनके हृदय हरि नाम बसे,

तिन और का नाम लिया ना लिया ।

जिनके हृदय हरि नाम बसे,


जिन काम किया परमार्थ का,

जिन काम किया परमार्थ का,

तिन हाथ से दान दिया ना दिया,

तिन हाथ से दान दिया ना दिया ।


जिनके हृदय हरि नाम बसे,

तिन और का नाम लिया ना लिया ।

जिनके हृदय हरि नाम बसे,


जिन के घर एक सपूत भयो,

जिन के घर एक सपूत भयो,

तिन लाख कपूत भया ना भया,

तिन लाख कपूत भया ना भया ॥


जिनके हृदय हरि नाम बसे,

तिन और का नाम लिया ना लिया ।

जिनके हृदय हरि नाम बसे,


जिन मात पिता की सेवा करी,

जिन मात पिता की सेवा करी,

तिन तीर्थ व्रत किया ना किया,

तिन तीर्थ व्रत किया ना किया ॥


जिनके हृदय हरि नाम बसे,

तिन और का नाम लिया ना लिया ।

जिनके हृदय हरि नाम बसे,


जिन के द्वारे पर गंग बहे,

तिन कूप का नीर पीया ना पीया ।


जिन काम किया परमार्थ का,

तिन हाथ से दान दिया ना दिया ।


जिन के घर एक सपूत भयो,

तिन लाख कपूत भया ना भया ।


जिन मात पिता की सेवा करी,

तिन तीर्थ व्रत किया ना किया ।


तुलसीदास विचार कहे,

तुलसीदास विचार कहे,

कपटी को मीत किया ना किया,

कपटी को मीत किया ना किया ॥


जिनके हृदय हरि नाम बसे,

तिन और का नाम लिया ना लिया ।

जिनके हृदय हरि नाम बसे,

........................................................................................................
रमतो भमतो जाय, आज माँ नो गरबो(Ramto Bhamto Jay Aaj Maa No Garbo)

रमतो भमतो जाय,
आज माँ नो गरबो रमतो जाय,

विद्यारंभ संस्कार पूजा विधि

हिंदू संस्कृति में मनुष्य के जीवन के अलग अलग पड़ावों को संस्कारों के साथ पवित्र बनाया जाता है। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है विद्यारंभ संस्कार । यह संस्कार बच्चों के जीवन में शिक्षा की शुरुआत का प्रतीक है।

कब मनाई जाएगी धनु संक्रांति

सनातन धर्म में भगवान सूर्य को ग्रहों का राजा बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि जिसकी राशि में भगवान सूर्य शुभ होते हैं, उसका सोया हुआ भाग्य भी जाग उठता है।

पापमोचनी एकादशी के उपाय

पापमोचनी एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह एकादशी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने