मैं तो बांके की बांकी बन गई (Main Toh Banke Ki Banki Ban Gayi)

मैं तो बांके की बांकी बन गई,

और बांका बन गया मेरा,

मैं तो बांके की बांकी बन गई,

और बांका बन गया मेरा ।

इस बांके का सब कुछ बांका,

इस बांके का सब कुछ बांका,

मैं तो बांके की बांकी बन गई,

और बांका बन गया मेरा ॥


बांके है नन्द बाबा और यशुमति,

बांकी घडी जमने है बिहारी,

बांके कन्हैया के बांके है भ्रात,

लड़ाके बड़े हल मूसल धारी...

बांकी मिली दुलहन जगवंदन,

और बांके गोपाल के बांके पुजारी,

भक्तन दर्शन देन के कारण,

झांके झरोखा में बांके बिहारी,

॥ मैं तो बांके की बांकी बन गई...॥


रसिया की छलिया की,

सजना की सईया की,

॥ मैं तो बांके की बांकी बन गई...॥


बांकी पागचंद्रिका तापर,

और बांका तुर्रा ररक रहा है,

गरसिरपेच माल और बांकी,

बांके की पटकी चटक अहा है...

बांके नैन सेन सर बांके,

बेन बिनोद महा है,

बांके की बांकी झांकी कर,

बाकी रहयो कहा है,

॥ मैं तो बांके की बांकी बन गई..॥


रसिया की छलिया की,

सजना की सईया की,

॥ मैं तो बांके की बांकी बन गई..॥


ये टेड़े सो प्रसन्न,

टेडी बातन सो अति प्रसन,

टेड़े टेड़े लक्षण अनेक कान कारे के...

हम सो टेंडाई भूल मत करियो कोई,

हम है उपासी एक टेडी टांग वाले के

॥ मैं तो बांके की बांकी बन गई..॥


रसिया की छलिया की,

सजना की सईया की,

॥ मैं तो बांके की बांकी बन गई..॥


टेड़े टिपारे कटारे किरीट की,

मांग की पाग की धारि की जय जय,

कुंडल जाये कपोलन पे,

मुस्कानहु धीर प्रहारी की जय जय..

राजेश्वरी दिन रात रटो,

यही मोहन की बनवारी की जय जय,

प्रेम ते बोलो जी बोलत डोलो,

बोलो श्री बांके बिहारी की जय जय

॥ मैं तो बांके की बांकी बन गई..॥


मैं तो बांके की बांकी बन गई,

और बांका बन गया मेरा,

मैं तो बांके की बांकी बन गई,

और बांका बन गया मेरा।

इस बांके का सब कुछ बांका,

इस बांके का सब कुछ बांका,

मैं तो बांके की बांकी बन गई,

और बांका बन गया मेरा ॥

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ऋण-मोचक मंगल-स्तोत्रं (Rin Mochak Mangal Stotram)

मंगलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रद:। स्थिरासनो महाकाय: सर्व-कर्मावरोधकः॥1॥

मौनी अमावस्या के उपाय

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, माघ का महीना 11वां होता है। इस माह में पड़ने वाले व्रत का विशेष महत्व होता है। इनमें मौनी अमावस्या भी शामिल है। माघ माघ की अमावस्या को मौनी अमावस्या भी कहा जाता है।

सूर्य स्तोत्र

विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः।
लोक प्रकाशकः श्री मांल्लोक चक्षुर्मुहेश्वरः ॥ लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा।

मत घबरा मन बावरे (Mat Ghabra Mann Baware)

मत घबरा मन बावरे,
है श्याम तेरा रखवाला,

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