मेरे साथ रहना श्याम(Mere Sath Rehna Shyam)

बाबा देखो मेरी ओर,

मैं हूँ अति कमजोर,

मेरे साथ रहना,

बाबा देखो मेरी ओर ॥


नैया है भवर में खाये रे हीचकोले,

संभालो पतवार,

मैंने किये लाखों जतन मेरे बाबा,

गया हूँ अब हार,

गया हूं अब हार,

संभालो पतवार,

बाबा देखो मेरी ओर,

मैं हूँ अति कमजोर,

मेरें साथ रहना,

बाबा देखो मेरी ओर ॥


तू ही मेरा मालिक तू ही है एक साथी,

सिखाया है यही,

तू ही गर रूठे तो जाएंगे कहाँ ये,

बताया ही नहीं,

बताया ही नहीं,

सिखाया ही नहीं,

बाबा देखो मेरी ओर,

मैं हूँ अति कमजोर,

मेरें साथ रहना,

बाबा देखो मेरी ओर ॥


जग का सताया तूने ही अपनाया,

तुम्हीं से मेरी आस,

चाहे आधी रातो में तुझको बुलाऊ,

आएगा मेरे पास,

आएगा मेरे पास,

है पूरा विश्वास,

बाबा देखो मेरी ओर,

मैं हूँ अति कमजोर,

मेरें साथ रहना,

बाबा देखो मेरी ओर ॥


तुझसे ना छानी ‘सचिन’ की कहानी,

तू जाने सारी बात,

तेरे आगे बाबा समर्पण मेरा,

उठाऊं दोनो हाथ,

उठाऊं दोनो हाथ,

संभालो दीनानाथ,

बाबा देखो मेरी ओर,

मैं हूँ अति कमजोर,

मेरें साथ रहना,

बाबा देखो मेरी ओर ॥


बाबा देखो मेरी ओर,

मैं हूँ अति कमजोर,

मेरे साथ रहना,

बाबा देखो मेरी ओर ॥


........................................................................................................
होलाष्टक के यम-नियम क्या हैं

हिंदू पंचांग के अनुसार होलाष्टक होली से पहले आठ दिनों की एक विशेष अवधि है, जो फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से होलिका दहन तक चलती है। इस अवधि के दौरान कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है।

हो गए भव से पार लेकर नाम तेरा(Ho Gaye Bhav Se Par Lekar Naam Tera)

हो गए भव से पार लेकर नाम तेरा
वाल्मीकि अति दुखी दीन थे,

श्रीकृष्ण लीला: जब बाल कान्हा ने फल वाली अम्मा की झोली हीरे-मोती से भर दी

भगवान अपने भक्तों को कब, कहा, क्या और कितना दे दें यह कोई नहीं जानता। लेकिन भगवान को अपने सभी भक्तों का सदैव ध्यान रहता है। वे कभी भी उन्हें नहीं भूलते। भगवान उनके भले के लिए और कल्याण के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।

होलाष्टक से जुड़े पौराणिक कथा

होलाष्टक का सबसे महत्वपूर्ण कारण हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कथा से जुड़ा है। खुद को भगवान मानने वाला हिरण्यकश्यप अपने बेटे प्रह्लाद की भक्ति से नाराज था।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने