म्हने हिचक्या आवे जी (Mhane Hichkiyan Aave Ji)

अरज लगावे जी,

सांवरिया थासु अरज लगावे जी,

म्हारी आंख्या सु नीर बहे,

म्हाने हिचक्या आवे जी,

याद सतावे जी,

सांवरिया थारी याद सतावे जी,

म्हारी आंख्या सु नीर बहे,

म्हने हिचक्या आवे जी ॥


कागलियो तो मुंडेर पे बोले,

आजा रे कन्हैया म्हारो,

जिवडो यो डोले,

प्रीत या म्हारी काहे को तोले,

अरज लगावे जी,

सांवरिया थासु अरज लगावे जी ॥


दिन कोन्या बीते,

कटे कोन्या रातां,

याद करूँ थारी मीठी मीठी बातां,

सुध म्हारी ले ल्यो,

थे बाबा आता जाता,

दास बुलावे जी,

सांवरिया थाने दास बुलावे जी,

म्हारी आंख्या सु नीर बहे,

म्हने हिचक्या आवे जी ॥


छोड़ के जग थासु प्रीत लगाई,

काई कसर म्हारे भाव में आई,

बाबा क्यों म्हारी थे सुध बिसराई,

कुछ कोन्या भावे जी,

सांवरिया म्हाने कुछ कोन्या भावे जी,

म्हारी आंख्या सु नीर बहे,

म्हने हिचक्या आवे जी ॥


थारो ही थो बाबा थारो ही रहूंगो,

प्यार तकरार बार बार करुँगो,

मनडे री बातां बाबा थासु ही कहुँगो,

‘रोमी’ गुण गावे जी,

सांवरिया थारा ‘रोमी’ गुण गावे जी,

म्हारी आंख्या सु नीर बहे,

म्हने हिचक्या आवे जी ॥


अरज लगावे जी,

सांवरिया थासु अरज लगावे जी,

म्हारी आंख्या सु नीर बहे,

म्हाने हिचक्या आवे जी,

याद सतावे जी,

सांवरिया थारी याद सतावे जी,

म्हारी आंख्या सु नीर बहे,

म्हने हिचक्या आवे जी ॥

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अन्वाधान कब है

फरवरी माह में प्रकृति में भी बदलाव आता है, मौसम में ठंडक कम होने लगती है। पेड़ों पर कोमल पत्ते आने लगते हैं। इस साल फरवरी में गुरु मार्गी होंगे और सूर्य, बुध भी राशि परिवर्तन करेंगा। इसलिए यह महीना बहुत खास रहने वाला है।

वैशाख शुक्ल पक्ष की मोहिनी नामक एकादशी (Vaishaakh Shukl Paksh Kee Mohinee Naamak Ekaadashee)

भगवान् कृष्ण के मुखरबिन्द से इतनी कथा सुनकर पाण्डुनन्दन महाराज युधिष्ठिर ने उनसे कहा - हे भगवन् ! आपकी अमृतमय वाणी से इस कथा को सुना परन्तु हृदय की जिज्ञासा नष्ट होने के बजाय और भी प्रबल हो गई है।

मेरो राधा रमण गिरधारी (Mero Radha Raman Girdhaari)

मेरो राधा रमण गिरधारी,
गिरधारी श्याम बनवारी,

अन्वाधान व इष्टि क्या है

सनातन हिंदू धर्म में, अन्वाधान व इष्टि दो प्रमुख अनुष्ठान हैं। जिसमें भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए किया करते हैं। इसमें प्रार्थना व पूजा कुछ समय के लिए यानी छोटी अवधि के लिए ही की जाती है।

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