नमामी राधे नमामी कृष्णम(Namami Radhe Namami Krishnam)

हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,

नमामी राधे नमामी कृष्णम,

हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,

नमामी राधें नमामी कृष्णम,

तुम्ही हो माता पिता हमारे,

तुम्ही हो माता पिता हमारे,

नमामी राधें नमामी कृष्णम,

हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,

नमामी राधें नमामी कृष्णम ॥


आदि शक्ति श्री राधे रानी,

जय जगजननी जय कल्याणी,

युगल मूर्ति श्री राधे कृष्णा,

दर्शन करत मिटे नही तृष्णा,

दर्शन करत मिटे नही तृष्णा,

दोनो हैं दोनो के नैन-तारे,

दोनो हैं दोनो के नैन-तारे,

नमामी राधें नमामी कृष्णम,

हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,

नमामी राधें नमामी कृष्णम ॥


सुर मुनि कितने स्वप्न संजोते,

योगी जप तप कर युग खोते,

तब जाकर इस युगल मूर्ति के,

बाल रूप में दर्शन होते;

बाल रूप में दर्शन होते,

ये सृष्टि सारी यही पुकारे,

ये सृष्टि सारी यही पुकारे,

नमामी राधें नमामी कृष्णम,

हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,

नमामी राधें नमामी कृष्णम ॥


हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,

नमामी राधे नमामी कृष्णम,

हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,

नमामी राधें नमामी कृष्णम,

तुम्ही हो माता पिता हमारे,

तुम्ही हो माता पिता हमारे,

नमामी राधें नमामी कृष्णम,

हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,

नमामी राधें नमामी कृष्णम ॥

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चंद्रदर्शन कब करें

हिंदू धर्म में चंद्र दर्शन को अत्यंत पवित्र और लाभकारी माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चंद्रमा मन के संचालन का कारक होता है। चंद्र दर्शन के दिन चंद्र देव की पूजा करने से मन को शांति, जीवन में समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ज्योतिष के अनुसार कमजोर चंद्रमा वाले जातकों को विशेष रूप से इस दिन व्रत और पूजा करनी चाहिए।

सोमवती अमावस्या व्रत से बदलेगी किस्मत

सनातन हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि काफ़ी महत्वपूर्ण माना जाता है। अमावस्या तिथि कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन होती है और इस दिन आकाश में चांद दिखाई नहीं देता है। प्रत्येक साल कुल 12 अमावस्या पड़ती हैं।

मौनी अमावस्या पर स्नान-दान का मुहूर्त

माघ मास में आने वाली अमावस्या को माघी अमावस्या भी कहा जाता है। मौनी अमावस्या के दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है। इस दिन तीर्थराज प्रयागराज में त्रिवेणी संगम में स्नान के लिए भारी संख्या में भक्त आते हैं।

मौनी अमावस्या क्यों रखा जाता है मौन व्रत

मौनी अमावस्या पर मौन रहने का नियम है। सनातन धर्म शास्त्रों में इस दिन स्नान और दान की पंरपरा सदियों से चली आ रही है। यह केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि यह मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि का एक महत्वपूर्ण साधन भी है।

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