Radhe Radhe Japo Chale Aayenge Bihari (राधे जपो चले आएँगे बिहारी)

राधे राधे जपो चले आएँगे बिहारी,

राधे राधे रटो चले आएँगे बिहारी,

आएँगे बिहारी चले आएँगे बिहारी,

राधे राधे जपो चले आएँगे बिहारी ॥


राधा मेरी चंदा,

चकोर है बिहारी,

राधा मेरी चंदा,

चकोर है बिहारी,

राधे राधे जपो चले आएँगे बिहारी ॥


राधा रानी मिश्री,

तो स्वाद है बिहारी,

राधा रानी मिश्री,

तो स्वाद है बिहारी,

राधे राधे जपो चले आएँगे बिहारी ॥


राधा रानी गंगा,

तो धार है बिहारी,

राधा रानी गंगा,

तो धार है बिहारी,

राधे राधे जपो चले आएँगे बिहारी ॥


राधा रानी तन है तो,

प्राण है बिहारी,

राधा रानी तन है तो,

प्राण है बिहारी,

राधे राधे जपो चले आएँगे बिहारी ॥


राधा रानी सागर,

तरंग है बिहारी,

राधा रानी सागर,

तरंग है बिहारी,

राधे राधे जपो चले आएँगे बिहारी ॥


राधा रानी मोहनी,

तो मोहन बिहारी,

राधा रानी मोहनी,

तो मोहन है बिहारी,

राधे राधे जपो चले आएँगे बिहारी ॥


राधा मेरी गोरी तो,

साँवरे बिहारी,

राधा मेरी गोरी तो,

साँवरे बिहारी,

राधे राधे जपो चले आएँगे बिहारी ॥


राधा रानी भोली भाली ,

चंचल बिहारी,

राधा रानी भोली भाली ,

चंचल बिहारी,

राधे राधे जपो चले आएँगे बिहारी ॥


राधा रानी नथनी,

तो कंगन बिहारी,

राधा रानी नथनी,

तो कंगन बिहारी,

राधे राधे जपो चले आएँगे बिहारी ॥


राधा रानी मुरली,

तो तान है बिहारी,

राधा रानी मुरली,

तो तान है बिहारी,

राधे राधे जपो चले आएँगे बिहारी ॥


राधे राधे जपो चले आएँगे बिहारी,

राधे राधे रटो चले आएँगे बिहारी,

आएँगे बिहारी चले आएँगे बिहारी,

राधे राधे जपो चले आएँगे बिहारी ॥

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महाशिवरात्रि के विशेष उपाय

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण पर्व है। यह भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का पवित्र त्योहार आंतरिक शांति का प्रतीक है। इस दिन शिवभक्त उपवास, पूजा-अर्चना और रात्रि जागरण के माध्यम से भगवान शिव के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।

उठ खड़ा हो लक्ष्मण भैया जी ना लगे (Uth Khada Ho Lakshman Bhayia Ji Na Lage)

उठ खड़ा हो लक्ष्मण भैया जी ना लगे,
लखनवा नही जाना की जी ना लगे ॥

वृश्चिक संक्रांति का महत्व

वृश्चिक संक्रांति पौराणिक कथाओं के अनुसार एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योंहार है। यह हिंदू संस्कृति में सौर दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भगवान सूर्य जी की पूजा के लिए विशेष माना होता है। वृश्चिक संक्रांति के समय सूर्य उपासना के साथ ही मंगल ग्रह शांति एवं पूजा करने से मंगल ग्रह की कृपा होती है।

अहोई अष्टमी का महत्व और मुहूर्त

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है। यह व्रत माताओं के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि इस दिन माताएं अपने पुत्रों की कुशलता और उज्ज्वल भविष्य की कामना के लिए निर्जला व्रत करती हैं।

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