तेरे चरणों में सर को, झुकाता रहूं(Tere Charno Mein Sir Ko Jhukata Rahu)

तेरे चरणों में सर को,

झुकाता रहूं,

तू बुलाता रहे,

और मैं आता रहूं ॥


मैंने बचपन से,

तुझको ही जाना है,

तेरा मेरा ये,

रिश्ता पुराना है,

तुझे दिल की,

हकीकत सुनाता रहूं,

तू बुलाता रहे,

और मैं आता रहूं ॥


तूने अपना बनाया,

ये एहसान है,

तेरी किरपा से ही,

मेरी पहचान है,

तेरे भक्तो से,

प्रेम बढाता रहूं,

तू बुलाता रहे,

और मैं आता रहूं ॥


‘बिन्नू’ कहता है,

प्रभु धन्यवाद तुझे,

तुम बुलाया करो,

श्याम दर पे मुझे,

यूँ ही तेरे तराने,

मैं गाता रहूं,

तू बुलाता रहे,

और मैं आता रहूं ॥


तेरे चरणों में सर को,

झुकाता रहूं,

तू बुलाता रहे,

और मैं आता रहूं ॥

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माघ कृष्ण की षट्तिला एकादशी (Magh Krishna ki Shattila Ekaadashee)

एक समय दालभ्यजी ने प्रजापति ब्रह्माजी के पुत्र पुलस्त्य जी से प्रश्न किया कि प्रभो! क्या कोई ऐसी भी शक्ति या उपाय है कि जिसके करने से ब्रह्महत्या करने इत्यादि के कुटिल कर्मों के पापों से मनुष्य सरलता पूर्वक छूट जाय भगवन् !

एक तू ही है मेरा, बाकी सब है वहम(Ek Tu Hi Hai Mera Baki Sab Hai Veham)

मेरे बाबा साथ,
छोड़ना ना तुझे है कसम,

श्री हनुमान साठिका (Shri Hanuman Sathika)

जय जय जय हनुमान अडंगी ।
महावीर विक्रम बजरंगी ॥

मानो तो मैं गंगा माँ हूँ - भजन (Mano Toh Main Ganga Maa Hun)

मानो तो मैं गंगा माँ हूँ,
ना मानो तो बहता पानी,

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