अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो (Are Dwarpalo Kanhaiya Se Keh Do)

देखो देखो यह गरीबी, यह गरीबी का हाल,

कृष्ण के दर पे यह विशवास ले के आया हूँ।

मेरे बचपन का दोस्त हैं मेरा श्याम,

येही सोच कर मैं आस ले कर के आया हूँ ॥


अरे द्वारपालों कहना से कह दो,

दर पे सुदामा गरीब आ गया है।

भटकते भटकते ना जाने कहाँ से,

तुम्हारे महल के करीब आ गया है॥


ना सर पे हैं पगड़ी, ना तन पे हैं जामा

बतादो कन्हिया को नाम है सुदामा।

इक बार मोहन से जाकर के कहदो,

मिलने सखा बदनसीब आ गया है॥


सुनते ही दोड़े चले आये मोहन,

लगाया गले से सुदामा को मोहन।

हुआ रुकमनी को बहुत ही अचम्भा,

यह मेहमान कैसा अजीब आ गया है॥


और बराबर पे अपने सुदामा बिठाये,

चरण आंसुओं से श्याम ने धुलाये।

न घबराओ प्यारे जरा तुम सुदामा,

ख़ुशी का समा तेरे करीब आ गया है।


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श्री हनुमान लला जी की आरती

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

शक्ति दे मां शक्ति दे मां (Shakti De Maa Shakti De Maa)

पग पग ठोकर खाऊं, चल ना पाऊं, कैसे आऊं मैं घर तेरे।
शक्ति दे माँ शक्ति दे माँ, शक्ति दे माँ शक्ति दे माँ॥

बड़ी मुश्किल से आई तेरे दर (Badi Mushkil Se Aai Tere Dar)

बड़ी मुश्किल से आई तेरे दर,
आस पूरी माँ कर देना मेरी,

वार्षिक श्राद्ध पूजा विधि

हिंदू धर्म में श्राद्ध पूजा का विशेष महत्व है। यह पितरों यानी पूर्वजों के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने का एक प्रमुख अनुष्ठान है। जो सदियों से हिंदू संस्कृति में करा जाता है। श्राद्ध संस्कार में पिंडदान, और ब्राह्मण भोजन कराया जाता है।

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