अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो (Are Dwarpalo Kanhaiya Se Keh Do)

देखो देखो यह गरीबी, यह गरीबी का हाल,

कृष्ण के दर पे यह विशवास ले के आया हूँ।

मेरे बचपन का दोस्त हैं मेरा श्याम,

येही सोच कर मैं आस ले कर के आया हूँ ॥


अरे द्वारपालों कहना से कह दो,

दर पे सुदामा गरीब आ गया है।

भटकते भटकते ना जाने कहाँ से,

तुम्हारे महल के करीब आ गया है॥


ना सर पे हैं पगड़ी, ना तन पे हैं जामा

बतादो कन्हिया को नाम है सुदामा।

इक बार मोहन से जाकर के कहदो,

मिलने सखा बदनसीब आ गया है॥


सुनते ही दोड़े चले आये मोहन,

लगाया गले से सुदामा को मोहन।

हुआ रुकमनी को बहुत ही अचम्भा,

यह मेहमान कैसा अजीब आ गया है॥


और बराबर पे अपने सुदामा बिठाये,

चरण आंसुओं से श्याम ने धुलाये।

न घबराओ प्यारे जरा तुम सुदामा,

ख़ुशी का समा तेरे करीब आ गया है।


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राम नाम जपते है, मस्ती में रहते है(Ram Naam Japte Hai Masti Mein Rehte Hain)

राम नाम जपते है,
मस्ती में रहते है,

राम से बड़ा राम का नाम, जो सुमिरे भव पार हो जाए (Ram Se Bada Ram Ka Naam Jo Sumire Bhav Paar Ho Jaye)

राम से बड़ा राम का नाम,
जो सुमिरे भव पार हो जाए,

माता भुवनेश्वरी की पूजा विधि

माता भुवनेश्वरी हिंदू धर्म में पूजी जाने वाली एक प्रमुख देवी हैं, जिन्हें ब्रह्मांड की रानी और सृजन की देवी के रूप में जाना जाता है। उनका नाम "भुवनेश्वरी" दो शब्दों से मिलकर बना है - "भुवन" जिसका अर्थ है ब्रह्मांड और "ईश्वरी" जिसका अर्थ है स्वामिनी।

सन्तोषी माता/शुक्रवार की ब्रत कथा (Santhoshi Mata / Sukravaar Ki Vrat Katha

एक नगरमें एक बुढ़ियाके सात पुत्र थे, सातौके विवाह होगए, सुन्दर स्त्री घर में सम्पन्न थीं। बड़े बः पुत्र धंधा करते थे बोटा निठल्ला कुछ नहीं करता था और इस ध्यान में मग्न रहता था कि में बिना किए का खाता हूं।

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